राजनीति में थी गहरी समझ

हल्द्वानी :उत्तराखंड में पहली बार निर्वाचित सरकार में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी नारायण दत्त तिवारी ने संभाली थी। तिवारी का राजनीति में बड़ा कद था। राज्य में ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति में भी। लेकिन उन्हें छोटे से राज्य का सीएम तो बनाया गया, लेकिन उनकी सरकार में सबसे प्रभावशाली मंत्री थी डा. इंदिरा हृदयेश। यानी कि पूरी सरकार ही उनके ही इशारे पर चलती थी।

उत्तराखंड में पहली बार वर्ष 2002 से 2007 तक कांग्रेस की सरकार थी। एनडी तिवारी ने डा. इंदिरा हृदयेश को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पोर्टपोलियो से नवाजा था। लोक निर्माण विभाग, वित्त व संसदीय कार्य मंत्री का जिम्मा सौंपा था। उस समय वह इतनी प्रभावशाली हो चुकी थी कि राज्य की सियासत में उन्हें अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जाने लगा।

हालांकि इसके बाद राज्य की सत्ता में भाजपा आ चुकी थी, लेकिन इंदिरा का कद कम नहीं हुआ। वह सियासत में अपने वर्चस्व को कायम रखने में कामयाब रहीं।भले ही सीएम एनडी तिवारी थे, लेकिन देश भर में जहां भी मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होता था तो वहां पर डा. इंदिरा हृदयेश की ही मौजूदगी रहती थी। वह प्रभावी तरीके से अपनी बात भी रखती थी।

राजनीति में उनकी गहरी समझ थी। वह अपने विरोधियों को कैसे पस्त करना है और अपने करीबियों को किस तरह मदद पहुंचानी है। इस बात को बखूबी जानती थी। यानी कि वह सियासत के दांवपेंच खेलने में माहिर थी।2002 से 2007 में सत्ता में रहते हुए डा. इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में सड़कों का जाल बिछा दिया था। जहां-तहां सडकें बनने से विकास को गति मिली। शहर में बसासत बढऩे लगी।

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