उधारी के कमरों में चल रहा डिग्री कॉलेज !

देहरादून: 10 पाठ्यक्रम, 399 छात्र-छात्राएं और उनके पढ़ने के लिए महज तीन कक्ष। कक्ष भी अपने नहीं, बल्कि महिला पालीटेक्निक संस्थान सुद्धोवाला में उधारी पर मिले हैं। जिनकी क्षमता महज 150-160 छात्र-छात्राओं की है। उस पर छात्र-छात्राओं के प्रायोगिक विकास के लिए न तो प्रयोगशाला है और न ज्ञानार्जन के लिए पुस्तकालय ही।

यह तस्वीर राजधानी देहरादून के राजकीय महाविद्यालय की है, जहां पढ़ाई के नाम पर रस्म अदायगी हो रही है। सिर्फ नाम के इस महाविद्यालय में पर्याप्त फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में 29 अप्रैल से शुरू हो रही स्नातक की परीक्षा छात्र-छात्राओं को खुले मैदान में टाट-पट्टी पर बैठकर देनी पड़ेगी।

महाविद्यालय के पास पर्याप्त शिक्षक भी नहीं हैं। स्वीकृत 12 पदों के सापेक्ष छह शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। गणित और मनोविज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई के लिए कोई शिक्षक तैनात नहीं है। वर्ष 2021 में 25 नवंबर को प्रदेश सरकार ने नौ नए राजकीय महाविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। इनमें राजकीय महाविद्यालय देहरादून भी शामिल था।

इस घोषणा को लेकर उस समय शासन ने काफी तेजी दिखाई। उसी वर्ष महाविद्यालय के संचालन को अस्थायी व्यवस्था के तहत सुद्धोवाला स्थित महिला पालीटेक्निक संस्थान में तीन कमरे आवंटित कर दिए गए। प्रधानाचार्य समेत सात शिक्षकों की तैनाती भी कर दी गई।

वर्ष 2022 की शुरुआत के साथ ही यहां स्नातक की कक्षाओं (बीए, बीएससी और बीकाम) के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई। तब स्नातक प्रथम वर्ष के लिए महाविद्यालय में 209 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया। ‘

इसके बाद शासन ने महाविद्यालय की सुध नहीं ली। सुविधाएं बढ़ाना तो दूर, महाविद्यालय को अपना भवन भी नहीं मिल पाया। अब नौबत यह आ गई है कि स्नातक में यहां 399 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं और तीन कमरों में बैठने की व्यवस्था 150 से 160 लोग की ही है। जबकि, छात्र संख्या के लिहाज से महाविद्यालय में कम से कम 12 कक्ष होने चाहिएं।

ऐसे में कक्षाएं तो जैसे-तैसे संचालित हो जा रही हैं, लेकिन असल चिंता 29 अप्रैल से शुरू हो रही श्रीदेव सुमन विवि की परीक्षाओं को लेकर है। वर्तमान हालात में तो यही प्रतीत होता है कि छात्रों को जमीन पर टाट पट्टी में बैठकर परीक्षा देनी पड़ेगी।

रायपुर स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता भी दून शहर का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन यह छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने में सफल होता नहीं दिख रहा। दून के छात्र-छात्राओं को यदि डीएवी, डीबीएस, एसजीआरआर और एमकेपी पीजी कालेज में प्रवेश नहीं मिलता है तो वह रायपुर महाविद्यालय के बजाय निजी कालेज का रुख कर लेते हैं।

जबकि, पिछले एक दशक से संचालित इस महाविद्यालय में बीए, बीएससी, बीकाम, एमए और एमएससी के लगभग सभी विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक मौजूद हैं। कालेज में पर्याप्त कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, मैदान भी है।
प्राचार्य वंदना शर्मा का कहना है कि कालेज में स्नातक की जितनी सीटें हैं, वह हर साल भर जाती हैं। प्रयास किया जाएगा कि दून शहर और आसपास के छात्र भी यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आएं।

प्रभारी प्राचार्य प्रो. डीएस मेहरा ने 15 अप्रैल को उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को महाविद्यालय की खस्ता हालत के बारे में विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। इसमें समस्याओं को रेखांकित करने के साथ आग्रह किया गया है कि आगामी सत्र से पहले महाविद्यालय को मूलभूत सुविधाएं दी जाएं।

यह उल्लेख भी किया गया है कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव और खुद का भवन नहीं होने से आगामी सत्र में अभिभावक यहां बच्चों को प्रवेश दिलाने से परहेज कर सकते हैं।महाविद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सुविधाएं और संसाधन बेहद सीमित हैं। महाविद्यालय के अपने भवन के लिए भूमि भी चयनित नहीं हुई है। बनियावाला में जहां शासन स्तर से भूमि देने की बात चल रही थी, वहां अब माध्यमिक शिक्षा विभाग जनजातीय छात्राओं के लिए नया स्कूल भवन बन रहा है।

उच्च शिक्षा निदेशालय को चाहिए कि कालेज की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाए। पुस्तकालय, प्रयोगशाला और अतिरिक्त कक्षों की तत्काल आवश्यकता है। प्रो. डीएस मेहरा, प्रभारी प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय देहरादून

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