जोशीमठ: भू-धंसाव के कारण खतरे की जद में आने के कारण तोड़े जा रहे दो होटलों की तीन-तीन मंजिल तक ध्वस्त की जा चुकी हैं जिससे दोनों होटल बदरीनाथ हाईवे के बराबर पर आ गए हैं। ध्वस्तीकरण पूरा करने में अभी और समय लग सकता है।
दरारें आने से असुरक्षित हो गए होटल माउंट व्यू और मलारी इन को 12 जनवरी से तोड़ने का काम शुरू किया गया था। माउंट व्यू पांच मंजिला जबकि मलारी इन छह मंजिला है। दोनों होटलों को तीन मंजिल तक ध्वस्त किया जा चुका है। होटलों के करीब आधे हिस्से को ध्वस्त करने में 24 दिन का समय लग गया।
अब इसके निचले हिस्सों को ध्वस्त करने का काम शुरू हो गया है। इसमें अधिक समय लग सकता है। क्योंकि अब नीचे से मलबे को सड़क तक लाया जा रहा है। मलबे को डंपिंग जोन में डाला जा रहा है। हालांकि ध्वस्तीकरण में मजदूरों के साथ जेसीबी का भी प्रयोग किया जा रहा है। वहीं जेपी कॉलोनी के 15 भवनों में से चार को ध्वस्त किया जा चुका है। अन्य के ध्वस्तीकरण का कार्य जारी है।
भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ के लोग जहां एक तरफ निर्माणाधीन हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध कर रहे हैं वहीं जोशीमठ पैनखंडा क्षेत्र के लोग इसके समर्थन में हैं। लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर जल्द से जल्द बाईपास निर्माण शुरू करवाने की मांग की।
स्थानीय लोगों ने कहा कि अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। इस यात्रा पर पहाड़ की बड़ी आबादी निर्भर रहती है लेकिन जोशीमठ में हाईवे पर जगह-जगह दरारें आने और धंसने से वाहनों के अवागमन को खतरा हो सकता है। यात्रा पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इसलिए जब तक जोशीमठ में हाईवे की स्थिति ठीक नहीं हो जाती तब तक हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बनाया जाए। ताकि यात्रा निर्बाध रूप से चल सके। उनका कहना है कि यह बाईपास क्षेत्र और खासकर बदरीनाथ यात्रा के लिए लाइफलाइन का काम करेगा।
भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ में निरीक्षण के लिए केंद्र सरकार ने रैपिड एक्शन फोर्स की एक टीम भेजी है। यह टीम विभिन्न जगहों का निरीक्षण कर आपदा प्रभावित क्षेत्र का डाटा एकत्रित करेगी। टीम 10 फरवरी तक नगर का निरीक्षण कर नुकसान का आकलन करेगी।
केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई रैपिड एक्शन फोर्स की टीम में 60 जवान हैं। यह प्रभावित क्षेत्र की जानकारी एकत्रित करेंगे। रैपिड एक्शन फोर्स के उप कमांडेंट मुकेश कुमार ने बताया कि टीम ने काम शुरू कर दिया है। टीम यहां प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर जानकारी एकत्रित करेगी और नुकसान का डाटा तैयार किया जाएगा।
लोगों से जनसंपर्क भी किया जाएगा। स्थानीय प्रशासन के साथ आगे की योजना को लेकर भी काम करेगी। उन्होंने बताया कि यहां से डाटा एकत्रित किया जाएगा। ताकि भविष्य में कहीं इस तरह की घटना होती है तो हमारे पास पूरी जानकारी होगी जिसका उपयोग किया जा सकेगा।