जोशीमठ: दुकानदार हों या होटल व्यवसायी अथवा फड़ वाले, सभी व्यथित हैं। आपदा ने सारा कारोबार चौपट कर दिया और बैंकों के कर्जे का बोझ सिर पर है। ऐसे में करें तो क्या करें, जाएं तो कहां जाएं, कुछ सूझ नहीं रहा। बिना कामकाज के बैंक की किश्त कैसे चुकाएंगे और नहीं चुकाया तो डिफाल्टर होने का डर है। फिर तो दोबारा व्यवसाय भी शुरू नहीं कर सकते।
ऐसे लगभग 80 प्रतिशत होटल व्यवसायी व दुकानदार हैं, जिन्होंने व्यवसाय के लिए ऋण लिया हुआ है। इनमें 20 प्रतिशत तो वो हैं, जो विभिन्न स्थानों से आकर यहां व्यवसाय कर रहे हैं। जोशीमठ शहर में एक हजार से अधिक लोग दुकानदारी व होटल व्यवसाय करते हैं। इनमें से 80 प्रतिशत बैंक के कर्जदार हैं। किसी ने व्यवसाय को बढ़ाने तो किसी ने व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण लिया हुआ है।
इनमें एक हैं होटल स्नो क्रिस्ट के स्वामी अहमदाबाद (गुजरात) निवासी अनिल कुमार प्रजापति का। उन्होंने वर्ष 2007 में यह होटल खरीदा था। इसके लिए उन्होंने भारी-भरकम रकम बैंक से उधार ली। लेकिन, भूधंसाव की जद में आने के कारण यह होटल तिरछा हो गया और अब इसे ढहाने की प्रक्रिया चल रही है। अनिल कहते हैं, ‘होटल गंवाने के पास मेरे पास अब कुछ नहीं बचा, वापस अहमदाबाद भी क्या मुंह लेकर लौटूंगा।’
होटल मलारी इन के स्वामी ठाकुर सिंह राणा का भी यही हाल है। जमीन धंसने के कारण यह होटल भी दरक गया था, जिसे अब लगभग ढहाया जा चुका है। राणा कहते हैं कि वह मलारी के रहने वाले हैं। शीतकाल में उनका परिवार चमोली के पास बालखिला गांव प्रवास पर आ जाता है। बैंक से ऋण लेकर यह होटल खड़ा किया था, अब ब्याज तो छोड़िए, मूल चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में किश्त कैसे भरेंगे, इसी चिंता ने नींद-भूख, सब छीन ली है।
जयप्रकाश भट्ट ने मेन बाजार में बैंक से ऋण लेकर मोबाइल की दुकान खोली थी, जिसे अब खाली करना पड़ रहा है। कहते हैं, ‘सारा जोशीमठ आपदा की चपेट में है, ऐसे में सरकार ने कहीं जगह दिला भी दी तो कौन मोबाइल खरीदेगा। सिर पर चढ़ा कर्जा नहीं उतारेंगे तो दोबारा कौन कर्जा देगा।’
मेन बाजार में परचून की दुकान चलाने वाले नैन सिंह भंडारी की दुकान भी भूधंसाव की जद में आ गई। कहते हैं, ‘एक ओर ऋण चुकाने की चिंता है, उस पर थोक व्यापारी अब उधार भी नहीं दे रहे। दुकान के जितने ग्राहक थे, वह भी बेघर हो गए। ऐसे में मुझ जैसे दुकानदार तो चारों तरफ से मारे गए।’
बिजनौर (उत्तर प्रदेश) निवासी इंतकार मलिक की मेन बाजार में जूतों की दुकान है, जिसे अब खाली कराया जा रहा है। कहते हैं, ‘कर्ज में डूबकर अब घर भी कैसे लौटूंगा। बैंक भी कहां छोड़ने वाला है।
लगता है अब सड़क पर ही धक्के खाने पड़ेंगे।’ अन्य व्यापारियों का भी यही हाल है। जिनकी दुकानें सुरक्षित हैं, वह भी ग्राहक न होने के कारण दिनभर खाली बैठे हुए हैं। उस पर चिंता यह है कि कहीं उनकी दुकान भी भूधंसाव की चपेट में आ गई तो…।
जोशीमठ में अकेले एसबीआइ ने ही होटल स्वामी, दुकानदार व अन्य व्यक्तियों को 105 करोड़ का ऋण दिया हुआ है, जबकि अन्य बैंकों का 120 करोड़ का ऋण है। यानी कुल 225 करोड़ का ऋण यहां बैंकों ने बांटा हुआ है। चमोली जिले के लीड बैंक आफिसर गबर सिंह रावत ने बताया कि जनवरी में ऋण की लगभग 20 प्रतिशत किश्त ही जमा हो पाई।
यह ऋण नौकरी-पेशा लोगों ने वाहन खरीदने, मकान बनाने आदि के लिए ऋण लिया हुआ है। बताया कि दिसंबर अंतिम सप्ताह से बैंकों के लेन-देन में 40 प्रतिशत गिरावट आ गई थी। जनवरी में तो सिर्फ निकासी ही हो रही है। जोशीमठ में बैंकों के कारोबार की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
जोशीमठ में 12 बैंकों (एसबीआइ, पीएनबी, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक, एसडीएफसी, जिला सहकारी बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, केनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक व नैनीताल बैंक) की शाखा हैं। इनमें से भूधंसाव की जद में आने के कारण बैंक आफ बड़ौदा को खाली कराया जा चुका है।
उसके लिए किसी अन्य स्थान पर जगह तलाशी जा रही है। सात बैंक शाखाओं के भवनों पर भी खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, आसन्न खतरे को देखते हुए सभी बैंक शाखाओं ने अपने जरूरी दस्तावेज जोशीमठ से बाहर नजदीकी शाखाओं में स्थानांतरित कर दिए हैं।
जोशीमठ शहर चमोली जिले का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। ब्लाक के सभी गांव पूरी तरह इसी बाजार पर निर्भर हैं। इसके अलावा सेना, आइटीबीपी व बीआरओ का भी यह मुख्य बाजार है। क्षेत्र में संचालित व निर्माणाधीन जल-विद्युत परियोजनाओं के अलावा बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, पांडुकेश्वर, गोविंदघाट और नीती-माणा घाटी के लोगों की निर्भरता भी जोशीमठ बाजार पर ही है।