पंचायतों में महिलाओं का दबदबा

देहरादून: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में उत्तराखंड देश का सबसे अग्रणी राज्य है। राज्य में कुल चुने गए पंचायत प्रतिनिधियों में महिलाओं की संख्या 56 फीसदी है, जो देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है। हालांकि वरिष्ठ और प्रबंधन से जुड़ी नौकरियों में पुरुषों का वर्चस्व बहुत अधिक है। इन पदों पर राज्य की महिलाओं का प्रतिनिधित्व एक साल में और कम हो गया।

यह खुलासा केंद्रीय सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की हाल ही जारी भारत में महिलाएं और पुरुष 2022 रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में आंकड़ों के जरिये महिलाओं की स्थिति के बारे में राज्यवार तस्वीर बयान की गई है।

इसमें यह तस्वीर उभर कर सामने आई कि राज्य के 13 जिलों में 7791 ग्राम पंचायतों में 62796 पदों पर 35177 महिलाएं जनप्रतिनिधि हैं। यह कुल पदों का 56 फीसदी है। पुरुषों की तुलना में महिला जनप्रतिनिधियों का ऐसा अनुपात किसी भी राज्य में नहीं हैं।

राज्य प्रतिशत
उत्तराखंड 56.0
छत्तीसगढ़ 54.8
असम 54.4
महाराष्ट्र 53.5
तमिलनाडु 53
ओडिशा 52.7
केरल 52.4
बिहार 52.0
झारखंड 51.6
पश्चिम बंगाल 51.4

उत्तराखंड में प्रबंधकीय और वरिष्ठ पदों पर पुरुषों की तुलना में महज 3.4 फीसदी महिलाएं हैं। देश के अन्य राज्यों की तुलना में यह सबसे कम संख्या है। भारत में महिलाएं और पुरुष 2022 की रिपोर्ट की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में 2020 में कोरोनाकाल के दौरान प्रबंधकीय पदों पर कार्यरत कर्मचारियों महिलाएं 11.7 प्रतिशत थीं।

2021 में यह संख्या घटकर 3.3 प्रतिशत हो गई। इसी तरह विधायक, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों के रूप में काम करने वाली महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में 2020 में 13.3 प्रतिशत था, जो घटकर 3.6 फीसदी रह गया। राज्यों की सूची में उत्तराखंड में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का यह औसत देश में सबसे कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय औसत के हिसाब से 2020 में 23.2और 2021 में 22.2 प्रतिशत था।

 

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