स्कूलों से लेकर जनरल स्टोरों तक बिक रही ड्रग्स !

चंडीगढ़: पंजाब में ड्रग्स  के मुद्दे को लेकर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और भगवंत मान (Bhagwant Mann) सरकार आमने-सामने आ गए हैं. राज्यपाल द्वारा आप सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बाद कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने उन पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि राज्यपाल राजनीतिक भाषण दे रहे हैं और समानांतर सरकार चला रहे हैं. दरअसल राज्यपाल ने कहा था कि पंजाब के हालात ऐसे है कि यहां पर स्कूलों से लेकर जनरल स्टोर्स तक में ड्रग्स बिक रही हैं.

गौरतलब है कि पंजाब में ड्रग्स एक बड़ी समस्या है. पंजाब सरकार के लिए इस पर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि पंजाब में ड्रग्स का जहर कैसे फैला. राज्य सरकारों ने यदि इस मसले पर शुरुआती दौर में ही गंभीरता दिखाई होती तो शायद पंजाब को ये दौर देखना न पड़ता.

300 बीसी से 1947 तक व्यापारिक गतिविधियों के लिए चीन से पाकिस्तान और भारत तक सिल्क रूट फेमस था. यह रूट अफगानिस्तान में डायवर्ट होकर मौजूदा पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करता था.

1947 में हुए बंटवारे के बाद गोल्ड स्मगलिंग ने इसे येलो रूट नाम दिया. पंजाब में 80 के दशक में आतंकवाद के दौर में टेरर फंडिंग करने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई (ISI) ने इस रूट को हेरोइन सहित अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया.

यह सिलसिला अभी भी जारी है और हेरोइन की सप्लाई की वजह से अब यह व्हाइट रूट में परिवर्तित हो चुका है. आईएसआई द्वारा समर्थित तस्कर अब इस रूट पर ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स की सप्लाई पंजाब बॉर्डर के जरिए कर रहे हैं.

पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी शशिकांत ने मीडिया में दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि पंजाब में नशे का मकड़जाल पुलिस, राजनेताओं और सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारियों का नेक्सस है. उन्होंने 2014 में ही ड्रग तस्करी में कथित तौर पर शामिल पंजाब के दो मंत्रियों और 3 विधायकों के नामों का खुलासा किया था.

उन्होंने दावा किया था कि इनमें कांग्रेस का एक विधायक भी शामिल था. पूर्व डीजीपी ने यह भी दावा किया था कि उन्होंने ड्रग ट्रेड में शामिल 98 नेताओं की सूची मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सौंपी थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी.

बहरहाल सूबे में पूर्व अकाली-भाजपा, पूर्व कांग्रेस सरकार बड़े स्मगलरों के इनपुट होने के बावजूद नशे के कारोबार पर नकेल कसने में नाकाम रही हैं, जिसका खमियाजा लोगों को और नशे की लत में पड़े बच्चों को लेकर भुगतना पड़ रहा है.

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