भूकंप के कारण आई थीं मकानों पर दरार

भीमताल : विकासखंड ओखलकांडा के क्वैराला गांव में मकानों में दरारें पड़ने का मामला सामने आया है। दरारों की लंबाई और चौड़ाई बढ़ने से ग्रामीणों में दहशत है।

सामाजिक कार्यकर्ता मुकुल सिंह ऐरी ने बताया है कि पूर्व में आए भूकंप की वजह से क्वैराला गांव के कई घरों में दरारें आई हुई हैं। जो लंबाई में और चौड़ाई में लगातार बढ़ रही है।ग्रामीणों ने इसकी जानकारी प्रशासन को भी दी थी। लेकिन प्रशासन ने सिर्फ आश्वासन दिया लेकिन उसके निदान के लिए कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस गांव में भी बहुत सी जगहों पर जमीन धंस रही है।

कुछ लोगों को आंशिक मुआवजा मिला है पर बहुत से परिवार आंशिक मुआवजे से भी वंचित हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से पूरे क्षेत्र का व्यापक अध्ययन कराने तथा प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की मांग की है।

वहीं काठगोदाम से दो किलोमीटर आगे हैड़ाखान रोड का 380 मीटर हिस्सा 15 जनवरी को भूस्खलन की चपेट मे आ गया था। इस खतरनाक रास्ते से जोखिम भरा सफर फिलहाल जारी है, मगर सड़क की स्थायी मरम्मत और वन भूमि क्षेत्र से एलाइनमेंट जोड़ने का मामला अब भी फाइल से आगे नहीं खिसका। जबकि पुरानी सड़क जरूर खिसक रही है।

पहले सड़क की निचली ओर दरार आई थी। अब रोड के पहाड़ी वाले हिस्से में भी दरार पड़ चुकी है। इस स्थिति को लेकर लोनिवि खुद हैरानी में है। बरसात होने पर खतरा और बढ़ जाएगा। दो माह पूर्व हैड़ाखान रोड पर संकट छा गया था।

भूस्खलन ने सड़क पर मलबा गिराया तो रीठासाहिब तक के 200 गांवों को परेशानी का सामना करना पड़ा। स्थायी मरम्मत और शोध की दिशा में आगे बढ़ऩे के लिए लोनिवि के भूविज्ञानी और टीएचडीसी के विशेषज्ञ भी सर्वे को पहुंचे। बाद में टीएचडीसी से पैसों को लेकर मामला अटक गया।

इस बीच जनदबाव के कारण लोनिवि ने भूस्खलन की वजह से बंद सड़क से मलबा हटाया और वाहनों के गुजरने को अनुमति दे दी। दूसरी तरफ पहाड़ से लगातार मलबा नीचे गिर रहा है। यह पूरा क्षेत्र भूगर्भीय लिहाज से संवेदनशील है। लोनिवि खुद मान रहा है कि ज्यादा बरसात होने पर ऊपरी क्षेत्र से मलबा सड़क पर गिरेगा। कई पेड़ भी नीचे गिरेंगे।

वहीं, पहले से प्रभावित सड़क पर अब एक और नया संकट खड़ा हो गया है। लगातार पड़ रहे दबाव की वजह से सड़क के दोनों किनारों पर दरार पड़ चुकी है। अधिकारियों के अनुसार 380 मीटर के दायरे में कहीं जमीन के अंदर पानी की मात्रा है तो कहीं पहले से कमजोर स्थिति है।

हैड़ाखान रोड पर मलबे से सड़क को बचाने के लिए लोनिवि ने वायरक्रेट का प्रस्ताव तैयार किया था। आपदा मद से 19.87 लाख रुपये जारी भी हुए, लेकिन सड़क के दोनों तरफ दरार पड़ने की वजह से अब नया संकट पैदा हो गया है।

ऐसे में लोनिवि ने अभी वायरक्रेट का काम शुरू नहीं किया है। दूसरी तरफ वन विभाग पेड़ों को लेकर चिंता में है। ऊपरी हिस्से की पहाड़ी पर खड़े पेड़ों के किनारों से मिट्टी छूट रही है। कभी यह नीचे गिर जाएंगे।

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