EV CAR: 1 हज़ार किलोमीटर चलने का खर्च मात्र 519 !

उदय दिनमान डेस्कः दुनिया भर में हंगामा हुआ की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है. काबू करने के लिए दुनिया भर के सरकारों ने इसका पूरा जिम्मा वाहनों के ऊपर डाल दिया. इस ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए सरकारों ने वाहनों से पेट्रोलियम को इंधन के रूप से हटाकर लिथियम आयन बैटरी को प्रमोट करना शुरू किया.

अलग अलग राज्य सरकारों ने अलग-अलग सब्सिडी स्कीम की घोषणा की तो वहीं केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से अलग स्कीम की घोषणा की. फल स्वरूप बिना पेट्रोल और डीजल के चलने वाली गाड़ियों के नाम पर धड़ल्ले से दो पहिया वाहन सड़कों पर उतरने लगे.

क्योंकि सब्सिडी और स्कीम के तहत मैन फैक्चरिंग कंपनियों को अच्छा लाभ मिल रहा है फल स्वरूप कंपनियां कंप्यूटर डिजाइन को सड़कों पर उतारना शुरू कर दिया. जब मौसम की विषम परिस्थितियां भारत में दस्तक देनी शुरू की तब इन्हीं गाड़ियों के सुरक्षा पर सवाल उठने लगे.

इतना ही नहीं कई गाड़ियों के बेसिक मैन्युफैक्चरिंग बॉडी स्ट्रक्चर में भी खामियां पाई गई और सड़कों पर चलते-चलते टूट जाने वाले किस्से सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे.इस दौर में टाटा ग्रुप में अच्छी पहल भी और सड़कों पर उपयोगिता साबित करने वाले गाड़ियों की श्रृंखलाएं उतरने लगी जिसमें Tata Tiago EV, Tata Nexon EV प्रमुखता से आगे हैं.

भारत में एक और कंपनी MG ने अपने MG COMET EV को उतारा है लेकिन चाहे इस गाड़ी के बारे में सबसे सस्ते और भारतीय लोगों के सपने साकार करने जैसे हेडलाइंस महीना चल रहे हो लेकिन 7.98 लाख रुपए एक्स शोरूम कीमत पर महज 4 सीट वाली या खिलौना गाड़ी किसी थर्ड क्लास टैंपू से आगे उपयोगी साबित सड़कों पर नहीं हो पाएगी.

टाटा ग्रुप में बहुत पहले एक प्रयोग किया था जिसे टाटा नैनो के नाम से जाना जाता है और यह प्रयोग आज भी सड़कों पर सबसे सस्ती गाड़ी उतारने और उपयोगिता को नजरअंदाज करने को लेकर कई मैनेजमेंट कॉलेजों में रिसर्च का हिस्सा है.

एमजी comet के लॉन्च होने के बाद लोगों ने इसे सोशल मीडिया पर आड़े हाथ लिया है और इसे एयर कंडीशन वाला टेंपो करार दिया है. बाकी ऑडियंस है और गाड़ी की तस्वीरों को और उसकी कीमत तथा उपयोगिता को देखकर गाड़ी के राय में अपनी टिप्पणी हमें भी छोड़ सकते हैं.

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