आंखों के सामने सबकुछ उजड़ रहा

जोशीमठ: शाम के साढ़े 6 बजे हैं। जोशीमठ के निचले इलाके सिंहधार का प्राथमिक विद्यालय अभी भी खुला दिखाई दे रहा है। स्कूल में बच्चों की जगह कुछ परेशान चेहरे दिखाई दे रहे हैं। कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए एक कोने में अलाव जलाया गया है। कुछ महिलाएं और छोटी बच्चियां उस घेरकर आग सेक रही हैं।

पूछने पर ऋषि देवी की रुलाई फूट पड़ती है। जोशीमठ में हर दिन बढ़ रही दरारों में जिनका मकान समाया है, उसमें यह परिवार भी है। परिवार के पुरुष काम पर निकले हुए हैं। घर की महिलाओं, बच्चियों की आंखें अपने उजड़े आशियाने को याद कर-कर गीली हो रही हैं। ऋषि देवी बताती हैं कि कुछ दिन पहले तक सबकुछ ठीकठाक था।

उनके नाती-पोते घर के आंगन में खेला करते थे। फिर न जाने जोशीमठ की इस धरती को क्या हुआ। घर में पहले दरारें पड़ीं। फिर वह चौड़ी और चौड़ी होती चली गईं। खौफ में उनको घर छोड़ना पड़ा। सामान उठाने का वक्त भी नहीं मिला। सामान भी मकान के मलबे में दबा है।

सिंहधार जोशीमठ के उन बदनसीब वार्डों में से एक है, जिसमें दरारें सबसे ज्यादा देखी जा रही हैं। कुछ कुछ जगह तो खुले खेत तक फट गए हैं। सिंहधार की तरफ चलते हुए नीचे के एक खेत पर नजर पड़ी तो समझ आ गया कि इन चेहरों पर इतना खौफ क्यों है। पूरा खेत फटा हुआ है। यह दरार धरती में कितनी गहरी है, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है।

ऋषि देवी जिस इलाके में रहती हैं, वहां अधिकांश मकान पूरी तरह से टूट चुके हैं। शुक्रवार को इलाके का पुराना मंदिर भी ढह गया। उनके परिवार समेत इलाके के कुछ और लोगों को एक प्राइमरी स्कूल में शिफ्ट किया गया है। एक अन्‍य महिला ने कहा, बचपन से देखते आए हैं, मकान बनाए, हम देख रहे हैं… सीएम आए और हमारे यहां नहीं आए।

जोशीमठ में भूधंसाव की शुरुआत 1970 में हो चुकी थी, लेकिन 2021 के बाद इसमें तेजी आने लगी। लोग सुबह उठते और मकानों में दरार पड़ी दिखाई देती। लेकिन दिसंबर में अचानक स्थिति बिगड़ने लगी। कुछ ही दिनों के अंदर करीब 700 घरों तक ये दरारें पहुंच चुकी हैं। सिंहधार इलाके में लोग 2 और 3 जनवरी की रात को खौफ के साथ याद करते हैं।

सिंहधार के अधिकांश घरों में इन्हीं दो रातों में दरारें पड़ीं। सिंहधार के ही राकेश लाल बताते हैं पहले घर में एक हल्की की दरार दिखाई देती है। और फिर वह चौड़ी होती चली जाती है। आखिर इन दो रातों में हुआ क्या?

राकेश लाल बताते हैं कि आधी रात करीब दो बजे सरियों के बजने की हल्की सी आवाजें आए। हम सब लोग दहशत में बाहर आ गए। देखा तो मकान में दरारें आ चुकी थीं। सिंहधार के वार्ड नंबर चार के इस इलाके में एक-दो घर छोड़कर लगभग हर घर में दहशत की यह दरारें पड़ी हुई दिखाई दे रही हैं।

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