यमुनानगर। लंपी वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। क्रास ब्रिडिंग गाय में यह बीमारी ज्यादा है। इससे पशु पालकों में हड़कंप मचा हुआ है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार हरियाणा में हजारों पशुओं में संक्रमण फैल चुका है। वहीं चिकित्सकों ने एक अच्छी खबर भी दी है। संक्रमित हो चुके पशुओं में दोबारा इसका प्रभाव नहीं होगा।
जो पशु एक बार गिरफ्त में आ गया, उसके दोबारा चपेट में आने की संभावना फिलहाल नहीं है। क्योंकि विभागीय अधिकारियों के मुताबिक गत वर्ष भिवानी में इस बीमारी के लक्षण देखे गए थे, लेकिन इस बार वहां नहीं है। दूसरा, जिले में भी जो पशु एक बार इस वायरस के कारण बीमार हो चुका है, उस पर दोबारा असर दिखाई नहीं दिया।
लंपी वायरस से अभी निजात मिलने की संभावना नहीं है। सितंबर के दूसरे सप्ताह तक इसका असर रहने की बात कही जा रही है। जिले में लगातार फैल रहे वायरस के कारण पशुपालक काफी परेशान हैं। गोशालाओं तक वायरस पहुंच चुका है। जगाधरी गोशाला में केस अधिक आ रहे हैं। आदिबद्री स्थित गोशाला में भी केस सामने आ चुके हैं जबकि छछरौली व शहजादवाला में गोवंश बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन अब स्थिति में सुधार है।
देसी गाय में भी बीमारी कम देखी जा रही है। क्रास ब्रिडिंग गाय में बीमारी फैल रही है। रादौर इलाके में बीमारी अधिक है। वायरस के कई लक्षण हैं जिनमें शरीर पर दाने निकलना ओर फूट कर जख्म बन जाना, बुखार होना, लार अधिक निकलना, शरीर से कमजोर होना, आंख और नाक से पानी बहना व दूध कम होना शामिल हैं।
पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डा. प्रेम सिंह ने बताया कि लंपी स्कीन वायरस से ग्रस्त पशुओं के सर्वे और उपचार के लिए विभागीय चिकित्सकों की टीम जुटी हुई है। पीडि़त पशुओं को चिकित्सकों द्वारा एंटीबाइटिक और पेनकिलर से उपचार किया जा रहा है। पशुपालक घबराएं नहीं बल्कि सावधानी बरतें।
यह बीमारी उपचार के बाद पांच से सात दिन में रिकवर हो जाती है। मौत के चांस भी एक से पांच प्रतिशत तक होते हैं। बीमारी चमड़ी के नीचे या यहां तक कि मांसपेशियों तक भी फैल सकती है। इस बीमारी में पशुओं के सिर, गर्दन, थन, अंडकोश, योनी और पेरिनेम पर जमा हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पशुपालक वायरस से बीमार हुए पशु को अन्य पशुओं से दूर बांधे और नियमित उपचार दें। पशुपालक भी अन्य पशुओं के पास जाने से पहले हाथ-पांव अच्छे से धो लें। क्योंकि ये वायरस है जो संपर्क में आने से भी फैलता है।