मॉस्को. रूस और यूक्रेन की जंग (Russia-Ukraine war) के बीच फिनलैंड मंगलवार को नाटो का 31वां सदस्य बन गया. इसके बाद रूस की तरफ से सख्त नाराजगी जताई गई है. क्रेमलिन ने फिनलैंड नाटो की सदस्यता को लेकर ‘जवाबी कार्रवाई’ की चेतावनी दी है.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि नाटो के विस्तार को लेकर मास्को ने लंबे समय से आलोचना की है. उन्होंने कहा, ‘फिनलैंड के इस कदम से हमारी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर अतिक्रमण है. हम फिनलैंड में किसी भी नाटो सैन्य तैनाती को बारीकी से देखेंगे.’
गौरतलब है कि रूस और फिनलैंड आपस में 1,300 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. इसी को देखते हुए फिनलैंड के नाटो में शामिल होने को लेकर रूस की तरफ से कड़ा ऐतराज जताया जाता रहा है. इस पर मास्को ने कहा कि वह अपने पश्चिम और उत्तर पश्चिम सीमा पर तैनात सैनिकों को मजबूत करेगा.
क्रेमलिन ने मंगलवार को फिनलैंड की नाटो सदस्यता को ‘हमारी सुरक्षा पर हमला’ करार दिया और कहा कि वह जवाबी कदम उठाएगा. इस कदम ने रूस के साथ अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की सीमा के विस्तार ने उत्तरी यूरोप में “स्थिति को गहराई से बदल दिया है.
फिनलैंड के नाटो में शामिल होने को रूस के खिलाफ अमेरिका के तरफ से किए गए ऐतिहासिक राजनीतिक बदलाव की तरह देखा जा रहा है. फिनलैंड के नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी कर ली गई है जो कि हाल के इतिहास में सबसे कम समय में सबसे तेज सदस्यता प्रक्रिया मानी जा रही है.
फिनलैंड के नाटो से जुड़ जाने के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन की ताकत दोगुनी हो जाएगी. इस प्रक्रिया को दस्तावेजों के आदान प्रदान के साथ अधिकारिक स्वीक्रति दे दी गई है.