इस घाटी में रहती हैं उड़ने वाली गिलहरी !

उदय दिनमान डेस्कः फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान पर्यटको के लिए एक अलौकिक दृश्य और अविस्मरणीय अनुभव प्रस्तुत करती है। चमोली जिले में 87 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को की विश्व धरोहर मानी जाती है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के दो मुख्य क्षेत्रों (दूसरा नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान) में से एक है।

माना जाता है कि इस घाटी की खोज 1931 में हुई थी, जब फ्रैंक एस स्माइथ के नेतृत्व में तीन ब्रिटिश पर्वतारोही रास्ता भटक गए थे और इस शानदार घाटी पर पहुंच गए थे। इस जगह की सुंदरता से आकर्षित होकर उन्होंने इसे “फूलों की घाटी” नाम दिया। किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे।

जैसा कि नाम से पता चलता है, फूलों की घाटी एक ऐसा गंतव्य है जहां प्रकृति पूरी महिमा में खिलती है और एक लुभावना अनुभव प्रदान करती है। यहां पर आपकों अनगिनत प्रकार के फूलों की प्रजातियां देखने को मिलेगीं। भारतीय फूलों के साथ आप यहां पर 600 से ज्यादा फूलों की प्रजातियां देख सकेंगे।

अगर आप इस खूबसूरत वैली को देखने के लिए चमौली आते हैं तो यहां तक पहुंचने के लिए आपको एक लंबे ट्रेक से गुजरना होता। फूलों की घाटी का ट्रेक पुष्पावती नदी के साथ घने जंगलों से होकर गुजरता है और रास्ते में कई पुलों, ग्लेशियरों और झरनों को पार करके पहुँचा जा सकता है।

समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह घाटी ग्रे लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयी नेवला, और काला भालू, लाल लोमड़ी, चूने की तितली जैसी दुर्लभ और अद्भुत वन्यजीव प्रजातियों का भी घर है। हिम तेंदुआ और हिमालयी मोनाल जैसे कुछ जानवर भी आपको देखने को मिलेगें।

उत्तराखंड के चमौली के पास बनी इस घाटी को देखने का मौसम शुरू हो चुका है। यहां पर खूबसूरत फूल खिलना शुरू हो गये हैं। फूलों से सजी यह अनोखी जगह महामारी के बीच पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। घाटी में अब तक 100 से अधिक प्रजातियों के फूल खिल रहे हैं।

नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के निदेशक के अनुसार, “फूलों की घाटी 30 जून को पर्यटकों के लिए खोली गई थी। अब तक 4 विदेशियों सहित लगभग 5000 पर्यटक घाटी का दौरा कर चुके हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि यहां कोविड दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है।

यहां के फूलों को मई और अक्टूबर के महीनों के बीच सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है, एक समय जब यह क्षेत्र एक वनस्पति वंडरलैंड में बदल जाता है, हालांकि फूलों की अधिकतम बहुतायत जुलाई से सितंबर के दौरान होती है।फूलों की घाटी ट्रेक हर साल 1 जून को जनता के लिए खोला जाता है। पार्क जून से अक्टूबर तक खुला रहता है।

जब आप फूलों की घाटी में हों तो अधिक समय बिताने के लिए घांघरिया से जल्दी शुरुआत करें। यह एक विश्व धरोहर स्थल है और इसलिए आपको रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करना होगा, प्रवेश शुल्क का भुगतान करना होगा और अपने साथ ले जा रही सभी प्लास्टिक की बोतलों के बारे में भी जानकारी देनी होगी। घाटी में आप किसी भी तरह की प्लास्टिक का प्रयोग न करें। न ही कूड़ा फैलाएं।

फूलों की घाटी में प्रवेश प्रतिदिन सुबह 7.00 बजे से होता है और अंतिम प्रवेश दोपहर 2.00 बजे तक किया जाता है। आपको दोपहर 1 बजे के आसपास वापस आना शुरू करना चाहिए ताकि शाम 5.00 बजे तक वापस पहुंच सकें।अपने कैमरे के लिए अतिरिक्त बैटरी ले जाएं साथ ही कई जोड़ी जुराबें, मशाल, पोंचो/रेनकोट आदि भी ले जाएं क्योंकि घाटी तक पहुंचने के लिए एक लंबा ट्रेक है जिससे आपको गुजरना होगा।

हालांकि मई, जून और सितंबर में घाटी खूबसूरत होती है लेकिन जुलाई और अगस्त में फूलों की अधिकतम संख्या देखने को मिलते हैं।फूलों की घाटी की यात्रा की योजना बनाने से पहले पर्यटकों को विशेष रूप से मानसून के दौरान मौसम और सड़क की स्थिति के बारे में जानना चाहिए।

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