वनों की आग बेकाबू, विजिबिलिटी हुई कम, वन विभाग असहाय

चम्पावत : जंगलों में लगातार भड़क रही आग अब पर्यावरण और वन्य प्राणियों के लिए संकट का कारण बन गई है। पिछले 10 दिन से पूरे जिले में धुंध छाने से विजिबिलिटी भी लगातार कम हो रही है। 14 फरवरी से शुरू हुए फायर सीजन में अब तक आरक्षित, सिविल तथा पंचायती वनों में आग लगने की 103 घटनाओं में 162 हेक्टेर जंगल स्वाहा हो चुके हैं। अग्निकांड की लगातार बढ़ रही घटनाओं के देखते हुए वन विभाग ने अपने कर्मचारियों को चौबीसों घंटे मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं।

देवीधुरा रेंज के देवीधुरा, धूनाघाट, खेतीखान, चौड़ामेहता के कुछ क्षेत्र में शनिवार की शाम तो कुई जगह सोमवार को आग लग गई। गर्सलेख के चीड़ का आधा जंगल वनाग्नि से राख हो गया है। आग से उठ रही धुंध के कारण पाटी क्षेत्र में सोमवार को दिनभर धुंध छाई रही।

इधर बाराकोट विकास खंड के पम्दा, बापरू एवं लधिया घाटी के रीठा साहिब, परेवा आदि हिस्सों के आसपास भी धुंध से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वनाग्नि की अत्यधिक घटना वाले क्षेत्रों में ते बिजिबिलिटी 20 मीटर तक पहुंच गई है। इधर लोहाघाट और देवीधुरा रेंज में पिछले दो दिन में 11 हेक्टेयर क्षेत्र आग से जल चुका है। आग बुझाने में वन विभाग असहाय साबित हो रहा है।

हालांकि कुछ रेंजों में वन कर्मी लगातार आग बुझाने में जुटे हुए हैं। वन विभाग को अंदेशा है कि बड़ी संख्या में वनाग्नि का कारण शरारती तत्वों की कारस्तानी भी हो सकती हैं। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से पहले भी शरारती तत्वों द्वारा आग लगाने की सूचना वन विभाग को मिल चुकी है। विभाग के एसडीओ मनोहर सिंह सेमिया ने बताया कि बिना ग्रामीणों और वन पंचायत के सहयोग से इस प्रकार के तत्वों की पहचान करना मुश्किल है।

उन्होंने लोगों से जंगलों में आग लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों की सूचना तत्काल वन विभाग को देने की अपील की है। एसडीओ ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारियों को चौबीसों घंटे मुस्तैद रहने और आग लगने की जानकारी मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।

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