फ्रांस ने दंगा शांत करने के लिए 45,000 पुलिसकर्मी तैनात

पेरिस : फ्रांस में एक नाबालिग की पुलिस गोलीबारी में मौत के बाद लगातार चौथी रात हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन से निपटने के लिए शुक्रवार को हल्के बख्तरबंद वाहनों के साथ 45,000 अधिकारियों को तैनात किया गया है.

फ्रांस में दंगाइयों ने अभी तक सैकड़ों इमारतों को क्षतिग्रस्‍त किया है और हजारों वाहनों को आग के हवाले कर दिया है. इधर फ्रांसीसी अभियोजक ने कहा कि किशोर पर गोलीबारी के मामले में अधिकारी को हत्या के प्राथमिक आरोप सौंप दिये गये हैं. इस घटना के बाद दंगे भड़क उठे थे.

पेरिस में यातायात रोकने के दौरान हुई गोलीबारी के बाद भड़की हिंसा और दंगों को रोकने के लिए क्रैक पुलिस यूनिट और अन्य सुरक्षाबलों को देशभर में तैनात किया गया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से वापस आकर इस मुद्दे पर एक आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में में राष्‍ट्रपति ने घटना की निंदा की और इसके अस्‍वीकार्य बताया.

फ्रांसीसी प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न ने कहा कि आपातकालीन कैबिनेट बैठक का उद्देश्य व्यवस्था बहाल करने के लिए सभी विकल्पों की समीक्षा करना था. बताया जा रहा है कि फ्रांसीसी पुलिस ने देशभर के अलग-अलग इलाकों से अब तक 875 लोगों को गिरफ्तार किया है. अगले कुछ घंटे फ्रांस के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण बताए जा रहे हैं.

आंतरिक मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने टीएफ1 टेलीविजन को बताया कि शुक्रवार को तैनात किए गए 45,000 अधिकारियों में पुलिस और अर्धसैनिक बल दोनों की क्रैक इकाइयां शामिल हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार रात शहर में 40,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई,

जो 492 इमारतों को क्षतिग्रस्त होने, 2,000 वाहनों को जलाने और देश भर में 3,880 आग की घटनाओं को रोकने में विफल रहा था. डर्मैनिन ने आपातकालीन सेवाओं को भेजे एक नोट में लिखा- “ये अगले कुछ घंटे निर्णायक होंगे.”

दरअसल, 27 जून को फ्रांसीसी पुलिस ने सुबह 9 बजे ट्रैफिक जांच के दौरान कार से जा रहे 17 साल के नाहेल एम नाम के लड़के को गोली मार दी थी. यह हादसा फ्रांस की राजधानी पेरिस के उपनगर नानटेरे में हुआ था. इस हादसे को लेकर पुलिस ने दावा किया कि कार के टायर पर फायर करने के दौरान चालक को गोली लगी.

हालांकि, बाद में वायरल हुए वीडियो ने पुलिस को कार के दरवाजे से गोली चलाते हुए दिखाया. इस घटना के बाद सबसे पहले पेरिस में हिंसक विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हुई, जिसने पूरे फ्रांस को चपेट में ले लिया है.

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