पौराणिक परंपरा के साथ खुले गौरामाई के कपाट

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा के अंतिम पड़ाव स्थल गौरीकुंड में स्थित गौरामाई के कपाट पौराणिक परंपरा और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ग्रीष्मकाल के छह माह के खोल दिए गए हैं। अब गौरामाई की पूजा छह माह तक यहीं पर संपन्न होगी। वहीं, द्वितीय केदार भगवान मध्यमहेश्वर के कपाट 24 मई को सुबह 11 बजे खुलेंगे। मध्यमहेश्वर की डोली 22 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से प्रस्थान करेगी, जो 22 को रांसी, 23 को गोंडार पहुंचेगी। 24 मई को सिंह लग्न में सुबह 11 बजे कपाट खोले जाएंगे।

प्रतिवर्ष बैसाखी पर्व पर गौरीकुंड में स्थित गौरीमाई मंदिर के कपाट खोलने की परंपरा है। बुधवार को सुबह करीब सात बजे गौरामाई की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल गौरी गांव से रवाना हुई। गौरा माई की डोली के गौरीकुंड पहुंचने पर मंदिर के मुख्य पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू की।

लगभग आठ बजे मां गौरामाई मंदिर के कपाट पूरी विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोले गए। ग्रीष्मकाल के छह माह तक यहीं पर मां गौरा की पूजा-अर्चना की जाएगी। देवास्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनके जमलोकी ने बताया कि गौरा माई के कपाट ग्रीष्मकाल के छह माह के लिए खोल दिए गए है। अब छह माह तक यहीं पर मां की सभी नित्य पूजाएं संपन्न की जाएगी।

बैशाखी के अवसर पर पंचगाई आचार्य, देवस्थानम बोर्ड, आचार्यों वेदपाठियों की उपस्थिति में भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि तय हुई। इस अवसर पर कार्याधिकारी केदारनाथ एनपी जमलोकी, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, एलपी भट्ट, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, लेखाकार आरसी तिवारी, केदारनाथ मंदिर सुपरवाइजर और प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान सहित वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्व मोहन जमलोकी, पुजारी शिवशंकर, बागेश लिंग, मनोज शुक्ला, प्रेमसिंह रावत, पुष्कर रावत, मदन पंवार, विशंभर पंवार, भगवती शैव, विदेश शैव आदि मौजूद रहे।

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