नई दिल्लीः सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी की जब से शुरुआत हुई है एक्सपर्ट बार बार इसकी तुलना 1980 की सोने की रफ्तार के साथ कर रहे हैं. इसकी वजह है कि इसी साल सोने ने वो स्तर पार किया जो महंगाई के एडजस्ट करने पर 1980 के ऊंचाई पर पहुंचे रिकॉर्ड स्तर के बराबर था.
दरअसल एक्सपर्ट्स की नजर इस बात पर है कि 1980 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद आने वाले कुछ सालों में सोने की कीमतें आधे से भी कम हो गई थी. ऐसे में आशंका बन रही थी कि क्या सोने की मौजूदा रैली के बाद कीमतों में तेज गिरावट भी देखने को मिल सकती है या नहीं.
जनवरी 1980 में, सोने की कीमतें अपने अब तक के ऐतिहासिक उच्च स्तर तक पहुंचीं. उस समय सोना लगभग 850 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था. यह उस समय का रिकॉर्ड था. (महंगाई को एडजेस्ट करने पर ये आंकड़ा 3400 डॉलर के करीब था. जिसे इसी साल सोने ने तोड़ा.)
हालांकि 1982-1985 के बीच, सोना 300–400 डॉलर प्रति औंस तक नीचे आ गया और दशक के अंत (1989) तक कीमतें लगभग 380–420 डॉलर प्रति औंस के बीच स्थिर रहीं. यानि सोने में तेज उछाल देखने के बाद इसमें करेक्शन देखने को मिला और भाव आधे से भी कम पर आ गए.
कामाख्या ज्वेल्स के को-फाउंडर मनोज झा ने कहा कि ऐसा लगता है कि सोना “बबल जोन” में एंटर कर गया है. आने वाले महीनों में इसमें मुनाफा-वसूली का दौर देखने को मिल सकता है. झा के मुताबिक,, “सोना अपने महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है. निवेशक भी थोड़े चिंतित हैं. इससे पहले, सोने ने 1979-80 और फिर 2010-11 में बड़ी तेजी दिखाई थी. लेकिन उन ऊंचाइयों के बाद इसमें बड़ी गिरावट आई.
संभव है कि इतिहास एक बार फिर दोहराए. झा का मानना है कि निकट भविष्य में सोने की कीमत में लगभग 300-400 डॉलर प्रति औंस की गिरावट आएगी. क्योंकि सोना ओवरबॉट जोन में है. हालांकि झा मानते हैं कि अगर कुछ बड़ा संकेत न आया तो कीमतों में गिरावट नए निवेशकों को आकर्षित करेगी इससे सोना लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन बनाए रख सकता है.
कीमती धातुओं के बाजार में मंगलवार को तेज बिकवाली देखने को मिली और सोना 6.2 प्रतिशत लुढ़ककर करीब 4,100 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया. इसके साथ ही चांदी में भी नरमी आई और भाव 5 प्रतिशत से अधिक टूटकर 50 डॉलर प्रति औंस के नीचे फिसल गई. हाल के वर्षों में दोनों ही कीमती मेटल्स में किसी एक दिन में दर्ज हुई सबसे बड़ी गिरावट रही है.