हनुमान: पांच सौ साल से ज्यादा पुरानी मूर्ति मिली वापस

नई दिल्ली। चोरी कर विदेश ले जाई गई प्राचीन मूर्तियों और धरोहरों को देश में वापस लाने का सिलसिला जारी है। इस क्रम में तमिलनाडु के अरियालुर जिले के एक मंदिर से चुराई गई चोल काल के समय की यानी 14वीं-15 वीं शताब्दी की हनुमान जी की मूर्ति को वापस लाया गया है।

यह मूर्ति अप्रैल 2012 में मंदिर की दूसरी मूर्तियों के साथ चोरी हो गई थी। इस बीच इसका पता वर्ष 2014 में तब चला, जब न्यूयार्क के एक नीलामी घर में इस मूर्ति की नीलामी की गई जिसे आस्ट्रेलिया के एक खरीददार ने लिया था। संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक जैसे ही मूर्ति की नीलामी होने की जानकारी मिली, तो तुरंत इसे हासिल करने की कोशिशें तेज की गई है।

इस बीच आस्ट्रेलिया सरकार से संपर्क किया गया। साथ ही इससे जुडे सारे प्रमाण भी उन्हें मुहैया कराए गए। इस दौरान लंबी प्रक्रिया के बाद आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त को फरवरी 2023 में यह प्रतिमा वापस सौंप दी गई। इसे पिछले दिनों ही भारत लाया गया। इसके साथ ही इसे फिर से केस प्रापर्टी के रूप में तमिलनाडु के आइडल विंग को सौंप दिया गया।

मंत्रालय के मुताबिक इस मूर्ति का उल्लेख वर्ष 1961 में उस समय पांडिचेरी के फ्रांसीसी संस्थान द्वारा अपने दस्तावेज में भी किया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आस्ट्रेलियाई खरीददार का कहना था कि उसे यह नहीं पता थी यह चुराई गई मूर्ति है अन्यथा वह उसे कतई न खरीदता। भारतीय प्राचीन धरोहरों और मूर्तियों को वापस लाने की कोशिशें लंबे समय से चल रही है।

अब तब दूसरे देशों से 251 मूर्तियों और प्राचीर धरोहरों को वापस लाया गया है। इनमें 238 मूर्तियों और प्राचीन धराहरों को 2014 के बाद लाया गया है। इस बीच जिन प्राचीन धरोहरों और मूर्तियों को वापस लाया गया है, उनमें वाराणसी की अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति, राजस्थान से चितौड़गढ़ की नटराज की मूर्ति, चोल काल की श्रीदेवी की मूर्ति, राम, लक्ष्मण और सीता की अष्टधातु की मूर्तियां, भगवान बुद्ध की कई प्रतिमाएं आदि शामिल है।

सूत्रों के मुताबिक भारत से मूर्तियों को चोरी कर तस्करी के जरिए दूसरे देशों में लाकर बेचा जाता है। अब तक जो मूर्तियों या धराहरें वापस लायी गई है,उनमें से ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया जैसे देशों से ही लायी गई है।

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