तुर्की में बातचीत हुई फेल तो फ‍िर बरसेंगे गोले

तालिबान:पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने तालिबान को खुलेआम धमकी दे डाली क‍ि अगर तुर्की में चल रही बातचीत फेल हुई तो खुली जंग छिड़ जाएगी! ये गीदड़भभकी ऐसे समय आई जब इस्तांबुल में शांति वार्ता का दूसरा दौर चल रहा है. दोहा में हुए अस्थायी सीजफायर के महज चार-पांच दिन बाद ये अल्टीमेटम आया, जो सीमा पर तनाव को फिर से भड़का सकता है.

रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में आसिफ ने कहा, अफगानिस्तान शांति चाहता है, लेकिन अगर कोई डील नहीं बनी तो हमारे पास उनके साथ ‘ओपन वॉर’ का ऑप्शन है. पाकिस्तान की संसद में दिए भाषण में उन्होंने तालिबान पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि 40 साल तक लाखों अफगान रिफ्यूजी रखे, लेकिन बदले में गोलियां खा रहे हैं. ये बयान पाकिस्तान की फ्रस्ट्रेशन दिखाता है, जहां TTP जैसे ग्रुप्स के हमले बढ़ गए हैं.

इस्तांबुल की ये वार्ता कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हो रही है. पाकिस्तान की तरफ दो सदस्यीय सिक्योरिटी टीम, अफगानिस्तान की तरफ छह सदस्यीय डेलिगेशन, जिसमें गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय के अफसर शामिल. तालिबान के स्पोक्समैन जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक्स पर पोस्ट किया,

गृह उपमंत्री हाजी नजीब की अगुवाई में हमारा डेलिगेशन दोहा समझौते के बाद तुर्की पहुंच गया. बाकी मुद्दों पर बात होगी. मकसद? दोहा सीजफायर को लॉन्ग-टर्म बनाने का कोई वेरिफायबल मैकेनिज्म तैयार करना. आसिफ ने कहा कि सीजफायर के चार-पांच दिन से कोई इंसिडेंट नहीं, दोनों तरफ पालन हो रहा. लेकिन फेल होने पर ओपन वॉर का डर है.

दोनों देशों के बीच तनाव इस महीने की शुरुआत में सीमा पर खूनी झड़पों से भड़का. 12 अक्टूबर को पाकिस्तानी आर्मी ने अफगान बॉर्डर पर एयरस्ट्राइक्स किए, जिसमें तालिबान के दर्जनों लड़ाके मारे गए. जवाब में तालिबान ने भारी फायरिंग की और 60 पाकिस्तानी सैनिक मार ग‍िराए. तालिबान ने इसे सीमा के उल्लंघन का बदला बताया, जबकि पाकिस्तान ने नागरिकों पर गोलीबारी का इल्जाम लगाया.

पाकिस्तान का इल्जाम है कि तालिबान TTP को शरण दे रहा, जो खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हमले कर रहा. आसिफ ने कहा, TTP अफगान तालिबान के सहयोग से ऑपरेट कर रहा. हाल के 80% अटैक्स में अफगान नागरिक शामिल रहे हैं. दूसरी तरफ, तालिबान इन इल्जामों को रद्दी की टोकरी में फेंकता है. कहता है क‍ि पाकिस्तान के मिलिट्री ऑपरेशन अफगान सोवरेन्टी का उल्लंघन हैं.

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