गांवों में महिलाओं के लिए रोजगार बढ़ा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया। इसमें देश के आर्थिक विकास दर से लेकर चालू वित्त वर्ष के घाटे तक को लेकर अहम जानकारी जारी की गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में 2022-23 में सृजित रोजगारों पर भी विस्तृत रिपोर्ट दी गई है।

छोटे कारखानों की तुलना में 100 से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार देने वाले कारखानों में रोजगार तेजी से बढ़ रहा है, जो विनिर्माण इकाइयों के विस्तार का संकेत है।ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए रोजगार में इजाफा हो रहा है।

इसके आंकड़े ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर से मिलते हैं। 2018-19 में यह दर 19.7 प्रतिशत थी, जो 2020-21 में बढ़कर 27.7 प्रतिशत हो गई। यह सकारात्मक संकेत है।

1.2 करोड़ स्वयं सहायता समूहों में 88 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, जिनकी पहुंच 14.2 करोड़ परिवारों तक है।यूएन मल्टी डाइमेंशनल पावर्टी इंडेक्स यानी संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, 2005-06 से 2019-21 के बीच 41 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि 2017-18 की तुलना में 2020-21 में स्वरोजगार करने वालों की हिस्सेदारी बढ़ी है और नियमित वेतनभोगी श्रमिकों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।2017-18 में जहां कामकाजी आबादी में 52% लोग स्वरोजगार करने वाले थे, वहीं 2020-21 में इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 56% हो गई।

जनवरी 2023 तक, नौकरी चाहने वाले 2.8 करोड़ लोगों ने और 6.8 लाख नियोक्ताओं ने एनसीएस यानी नेशनल कैरियर सर्विस पोर्टल में पंजीकरण कराया। 2.5 लाख सक्रिय रिक्तियों और कुल 1.2 करोड़ रिक्त पदों के बारे में जानकारी को जुटाया गया है। राष्ट्रीय कैरियर सेवा के तहत 9100 से ज्यादा रोजगार नौकरी मेले आयोजित किए गए हैं।

अब तक, ई-श्रम के जरिए 10 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने एनसीएस पर पंजीकरण कराया है। इनमें से एक लाख से ज्यादा उम्मीदवारों को नौकरियों के लिए नियोक्ताओं द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया है। स्किल इंडिया पोर्टल के 46 लाख से ज्यादा कुशल उम्मीदवारों को डेटा एक्सचेंज के माध्यम से एनसीएस पर पंजीकृत किया गया है।

सबसे ज्यादा कामकाजी किन क्षेत्रों में?
विनिर्माण 39%
शिक्षा 22%
स्वास्थ्य 11%
आईटी/बीपीओ 12%
(आंकड़े जनवरी-मार्च 2022 तिमाही के अनुसार)

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2020 और 2021 महामारी के चरम वर्ष थे। यह देश के सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की ताकत की परीक्षा थी। इस दौरान कई बाधाएं आईं। रोजगार के अवसरों का नुकसान हुआ। हालांकि, कई उपायों के बाद वित्त वर्ष 2022-23 कायाकल्प का वर्ष रहा है, जिसने महामारी के तूफान को पीछे छोड़ दिया और देश मजबूत होकर उभरा।

सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न आयाम महामारी के दौर में खोए हुए अपने आधार को दोबारा प्राप्त कर रहे हैं और ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ के दृष्टिकोण को पूरा किया जा रहा है।

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