घायल महिला की डोली में अटकी सांसें, एंबुलेंस ने भी दिया दगा

कोटद्वार: सड़क और स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में एक महिला की जान पर ही बन आई। मामला बीरोंखाल ब्लाक के अंतर्गत चोरखिंडा मल्ला गांव का है, जहां के ग्रामीण पिछले दो दशक से सड़क व स्वास्थ्य सुविधा को तरस रहे हैं।

मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है कि पांच वर्ष में गांव से पचास से अधिक परिवार पलायन कर गए। गांव में जो लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उनके समक्ष भी कई चुनौतियां खड़ी हैं।

दरअसल, बुधवार को गांव के समीप जंगल में लकड़ी लेने गई कांति देवी (42) पत्नी जसवंत सिंह पेड़ से नीचे गिर गई थी। इस दौरान कांति देवी के बांह पर लकड़ी की खूंट घुस गई। बांह व पैर पर गंभीर चोट आने से कांति देवी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में ग्रामीणों ने कांति देवी को डोली में रखा और बीरोंखाल स्वास्थ्य केंद्र की राह पर चल पड़े।

चार किलोमीटर डोली से लाने के बाद चोरखिंडा टेक्सी स्टैंड पर पहुंचे ग्रामीणों ने स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए वाहन बुक करवाया। स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने कांति देवी को प्राथमिक उपचार दिया और हायर सेंटर ले जाने को कहा। क्षेत्र पंचायत सदस्य दिलीप सिंह रावत ने बताया कि हायर सेंटर ले जाने के लिए जब स्वास्थ्य केंद्र से एंबुलेंस मांगी गई तो पता चला पिछले कई माह से एंबुलेंस खराब पड़ी हुई है।

यही नहीं, धुमाकोट अस्पताल एंबुलेंस के चालक ने भी मरीज को सतपुली ले जाने से इन्कार कर दिया। लगातार बह रहे खून व दर्द से कहरा रही कांति देवी की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। ऐसे में परिवार ने गांव के किसी व्यक्ति का वाहन बुक कर कांति देवी को हंस अस्पताल सतपुली पहुंचाया, जहां उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया है।

गांव में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लगातार पलायन जारी है। रोजगार की तलाश में गांव के युवा भी बड़े शहरों का रुख कर गए हैं। ऐसे में अब गांव से मरीजों को डोली से मुख्य मार्ग तक लाने के लिए बुजुर्गों के कांधे पर ही जिम्मेदारी है। यही नहीं ग्रामीणों को सिर दर्द व बुखार तक की दवा लेने के लिए भी 25 किलोमीटर दूर बीरोंखाल स्वास्थ्य केंद्र की दौड़ लगानी पड़ती है।

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