श्रीहरिकोटा: DS-SAR सैटेलाइट को सिंगापुर डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी और ST इंजीनियरिंग के सहयोग से तैयार किया गया है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर की सात सैटेलाइट को आज सुबह 6.30 बजे लॉन्च किया गया। यह लॉन्चिंग 44.4 मीटर लंबे PSLV-C56 रॉकेट से की गई है।
DS-SAR सैटेलाइट को सिंगापुर की रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी (DSTA) और सिंगापुर के ही ST इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है। सिंगापुर सरकार की विभिन्न एजेंसियों की उपग्रह से प्राप्त होने वाली तस्वीरों संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस उपग्रह का उपयोग किया जाएगा।DS-SAR में ‘इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज’ (IAI) के डेवलप किए गए ‘सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (SAR) पेलोड हैं।
VELOX-AM: यह 23 किलोग्राम का टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर माइक्रोसैटेलाइट है।
ARCADE: यह भी एक प्रायोगिक सैटेलाइट है।
SCOOB-II: यह एक 3U नैनोसैटेलाइट है, ताकि एक खास तरह के टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन का टेस्ट किया जा सके।
NuLIoN: यह एक अत्याधुनिक 3U नैनोसैटेलाइट है। इसके जरिए बिना किसी बाधा के शहरों और सुदूर इलाकों में इंटरनेनट ऑफ थिंग्स की सुविधा प्रदान की जाएगी।
Galassia-2: यह भी एक 3U नैनोसैटेलाइट है, जिसे धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
ORB-12 STRIDER: यह इंटरनेशनल कोलैबोरेशन के तहत बनी सैटेलाइट है। इसे सिंगापुर की एलियेना पीटीई लिमिटेड कंपनी ने बनाया है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को चंद्रयान-3 की पांचवी और आखिरी अर्थ बाउंड ऑर्बिट रेजिंग प्रोसेस सक्सेसफुली पूरी की। चंद्रयान अब 127609 km x 236 km की ऑर्बिट में है। इसका मतलब है कि चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 km और सबसे ज्यादा दूरी 127609 km है।
अब स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि स्लिंग शॉट के जरिए पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। 5 अगस्त को चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचेगा। 23 अगस्त को ये चंद्रमा पर लैंड करेगा।