देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़

नई दिल्लीः एनडीए कैंडिडेट जगदीप धनखड़ ने शनिवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी करीबी प्रतिद्वंदी और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को मात दे दी है। इस तरह धनखड़ देश के नए उपराष्ट्रपति बन गए हैं।

चुनाव में NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले जबकि विपक्ष की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को सिर्फ 182 मत ही मिले। आपको बता दें कि इस चुनाव में 15 अवैध मत भी पड़े थे। चुनाव में धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी क्योंकि उन्हें एनडीए के दलों के अलावा विपक्ष की पार्टियों से भी समर्थन मिला था।

ये एक संयोग ही है कि जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने के बाद लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति दोनों ही एक राज्य से हैं। लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद, जिनमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं, उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के लिए पात्र होते हैं।

एनडीए के प्रत्याशी एवं पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल 71 वर्षीय जगदीप धनखड़ की दावेदारी पहले से ही मजबूत थी। इस चुनाव में पहले से ही धनखड़ के पक्ष में माहौल एकतरफा दिख रहा था। उनके मुकाबले में विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्ग्रेट आल्वा (80) नजर ही नहीं आ रही थीं।

दरअसल, सत्तारूढ़ बीजेपी के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है और राज्यसभा में 91 सदस्य होने के मद्देनजर धनखड़ के लिए जीत काफी आसान थी। वह मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है।

भारत का अगला उपराष्ट्रपति चुनने के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत लगभग 93 प्रतिशत सांसदों ने मतदान किया। वहीं, 50 से ज्यादा सांसद ऐसे रहे जिन्होंने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया।

अधिकारियों ने बताया कि शाम 5 बजे जब मतदान संपन्न हुआ, तब तक कुल 780 सांसदों में से 725 ने मतदान किया था। बता दें कि संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल सदस्यों की संख्या 788 होती है, जिनमें से राज्य सभा की 8 सीटें खाली हैं।

तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह मतदान से दूर रहेगी, लेकिन TMC के सिर्फ दो सांसदों ने उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोट डाला है। बाकी वोट न डालने वाले 50 से ज्यादा सांसदों में से अधिकांश सांसद इसी पार्टी के रहे। दोनों सदनों को मिलाकर तृणमूल कांग्रेस के कुल 39 सांसद हैं।

ममता बनर्जी की पार्टी द्वारा अपने कदम पीछे खींचने से विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार अल्वा की संभावनाओं को बहुत बड़ा धक्का लगा था। वहीं, ममता के इस फैसले को एकजुट विपक्ष में एक बड़े बिखराव के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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