अनूठी है जौनसार-बावर की संस्कृति

देहरादून: अनूठी संस्कृति के लिए विख्‍यात जौनसार-बावर की बूढ़ी दीपावली की रंगत और चटख हो गई है। शनिवार को कोरुवा गांव में दीपावली की रंगत देखने लायक थी। पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से पारंपरिक लोकनृत्य ने हर किसी को मंत्रमुग्ध किया।

बूढ़ी दीपावली मनाने के लिए खत बमटाड़ के कोरुवा गांव का अंदाज निराला है। पर्व पर पूरे जौनसार में काठ का हिरन व हाथी बनाया जाता है। कोरुवा में नाचते हिरन का पंचायती आंगन में तीन या पांच चक्कर लगाना अनिवार्य होता है।

कोरुवा गांव में सबसे पहले महासू देवता की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद काठ के हिरन को पंचायती आंगन में लाया गया। बूढ़ी दीपावली के जश्न को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। ग्रामीण भी पंचायती आंगन में जौनसारी लोक नृत्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।

कालसी ब्लाक की खत बमटाड़ के कोरूवा गांव में ग्रामीण सुबह ही पंचायती आंगन में पंहुचे और जौनसारी गीतों व लोक नृत्य झेंता, रासो, तांदी, हारुल नृत्य किया। इसके बाद सुबह स्याणा ने हिरन को नचाया।

यह प्रथा सदियों से बरकरार है। हिरन के साथ चार गोपियां भी नाचती हैं। जब हिरन नाचने लगता है तो जंगल का राजा घेपडू बना पात्र आंगन में अपना शिकार खेलने आता है और लोंगों पर राख फेंककर आतंक फैलाता है। हिरन के पांचवें चक्कर पर घेपडू निशाना साधकर हिरन को घायल कर देता है।

इस दौरान बुध सिंह तोमर, जवाहर सिंह तोमर, हुकम सिंह तोमर, केशर सिंह तोमर, ग्राम प्रधान निशा तोमर, जिला पंचायत सदस्य गीताराम तोमर, कुंवर सिंह तोमर, विक्रम तोमर, गजय सिंह तोमर, महावीर सिंह तोमर, धन सिंह तोमर, पूर्व प्रधान जयपाल सिंह तोमर, मुकेश तोमर, संतन सिंह तोमर, राजेंद्र तोमर, कल्याण सिंह तोमर, संजय तोमर, विरेंद्र तोमर, राजेश तोमर, सुरेन्द्र तोमर, आनंद सिंह तोमर आदि आदि मौजूद रहे।

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