जोशीमठ: जोशीमठ को भूधंसाव के खतरे से बचाने के लिए अब शासन-प्रशासन एक्शन मोड में है। इसी क्रम में शुक्रवार को विशेषज्ञों की टीम ने निरीक्षण शुरू कर दिया। गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रन्जीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम द्वारा जोशीमठ में भू-धंसाव के प्रभावित क्षेत्रों में आज घर-घर सर्वेक्षण किया जा रहा है।
टीम शुक्रवार को भी स्थलीय निरीक्षण कर भूधंसाव के कारण और उसके त्वरित उपचार को लेकर कार्ययोजना बनाएगी। गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके बाद कार्ययोजना बनाई जाएगी, ताकि जोशीमठ को खतरे से बचाया जा सके।
सरकार के निर्देश पर गुरुवार को गढ़वाल कमिश्नर के अलावा आपदा प्रबंधन व भूवैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची। टीम ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ नगर की स्थिति पर चर्चा की। देर शाम को टीम ने शहर के उन होटलों का भी निरीक्षण किया, जिनमें दरारें आई हैं।
इसके अलावा भू विज्ञानियों की टीम जेपी कालोनी में भी पहुंची और पानी के रिसाव को देखा। गुरुवार को गढवाल कमिश्नर सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन के अधिशासी अधिकारी पीयूष रौतेला, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहितास मिश्रा, भूस्खलन न्यूनीकरण केंद्र के वैज्ञानिक सांतुन सरकार, आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर डा.बीके माहेश्वरी सहित तकनीकी विशेषज्ञों की पूरी टीम जोशीमठ पहुंची।
गढ़वाल कमिश्नर एवं आपदा प्रबंधन सचिव ने तहसील जोशीमठ में अधिकारियों की बैठक लेते हुए स्थिति की समीक्षा की। विशेषज्ञों की टीम ने अधिकारियों से नगर में हो रहे भूधंसाव को लेकर जानकारी जुटाई तथा अब तक की कार्रवाई पर चर्चा की।
जोशीमठ में भूधंसाव का दायरा बढ़ता जा रहा है, जिससे पूरे शहर में दहशत का माहौल है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से गुरुवार को 15 परिवारों को शिफ्ट किया गया है, जबकि अब तक 47 परिवारों को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है।
इन परिवारों को नगरपालिका, ब्लाक, बीकेटीसी गेस्ट हाउस, जीआइसी, गुरुद्वारा, इंटरमीडिएट कालेज, आइटीआइ तपोवन सहित विभिन्न सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 60 से ज्यादा किरायेदार और मकान मालिकों ने खुद ही सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। प्रभावितों की मानें तो आठ सौ से ज्यादा घरों में दरार आई है, जिन पर खतरा मंडरा रहा है।
भूधंसाव बढ़ने से खतरे की जद में आए भवनों को भी जिला प्रशासन की ओर से चिह्नित करने का काम लगातार किया जा रहा है, ताकि कोई जानमाल का नुकसान न हो। राहत शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, शौचालय एवं अन्य मूलभूत व्यवस्थाओं के लिए नोडल अधिकारी नामित करते हुए जिम्मेदारी दी गई है।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना भी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। अपर जिलाधिकारी डा. अभिषेक त्रिपाठी एवं संयुक्त मजिस्ट्रेट डा. दीपक सैनी सहित प्रशासन की टीम मौके पर हालात का जायजा लेने में जुटी है। यही नहीं, भूधंसाव के खतरे को देखते हुए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
जोशीमठ की कुल आबादी- 30000 से अधिक
शहर में भवन- 5000 से अधिक
प्रभावित क्षेत्र में कितने भवन- सरकारी आंकड़े 561, गैरसरकारी आंकड़े 800
खतरे में कितने भवन-सरकारी-10, निजी 700 व व्यावसायिक 90
नवंबर 2021: जोशीमठ शहर में नवंबर 2021 में भूधंसाव हुआ था।
जून 2022: स्वतंत्र भूवैज्ञानिकों ने सर्वे किया और भूधंसाव के लिए एनटीपीसी की जलविद्युत परियोजना की टनल को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया था।
अगस्त 2022: वाडिया, आइआइटी रुड़की व जीएसआइ के वैज्ञानिकों ने सर्वे किया और आपदा प्रबंधन के डारेक्टर पीयूष रौतेला के नेतृत्व में सितंबर में रिपोर्ट दी, जिसमें पानी निकासी, सुनियोजित निर्माण, सीवरेज ट्रीटमेंट सहित अन्य सुझाव दिए गए थे, लेकिन इन पर अमल नहीं हुआ।
नगर पालिका गेस्ट हाउस, टूरिस्ट लाज, माधव आश्रम, प्राथमिक विद्यालय, मंदिर समिति गेस्ट हाउस, ज्योतिर्मठ आश्रम, गुरुद्वारा, इंटर कालेज, मिलन केंद्र (इनमें 400 से अधिक व्यक्तियों के रहने की व्यवस्था)