जोशीमठः पुनर्वास के लिए नई जमीन की तलाश शुरू

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव के पीड़ित परिवारों को स्थायी तौर पर कहीं और बसाने से पहले सरकार उस जमीन में भूस्खलन की जांच कराएगी। इसके लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जीएसआई के वैज्ञानिकों की टीम जल्द ही जोशीमठ रवाना होगा।

जोशीमठ भू धंसाव के पीड़ित परिवारों को स्थायी पुनर्वास पर सरकार चिंतित है। गौचर और पीपलकोटी के पास भूमि के विकल्प हैं लेकिन यहां सवाल यह भी है कि बसने वाले लोग जोशीमठ के अपने कारोबार और सांस्कृतिक लगाव छोड़कर इतनी दूर जाकर बसेंगे या नहीं।

लिहाजा, सरकार ने जोशीमठ में ही उद्यान विभाग की एक जमीन को भी चिन्हित किया है। इन सभी जमीनों पर नई बसावट करने से पहले सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। जीएसआई को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह इन जमीनों का सर्वे करेगी।

गहराई से इस बात का अध्ययन करेगी कि यहां कोई भूस्खलन या भू-धंसाव सक्रिय तो नहीं। यह भी देखेगी कि इन जमीनों का भूस्खलन का क्या इतिहास है। इसी आधार पर जीएसआई की टीम सरकार को अपनी फिजिबिलिटी रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर ही सरकार जोशीमठ के भू धंसाव पीड़ितों का स्थायी पुनर्वास करेगी।

गौचर और पीपलकोटि के अलावा जोशीमठ में उद्यान विभाग की जमीन भी स्थायी पुनर्वास के लिए देखी गई है। इसकी जीएसआई से स्टडी कराने के बाद ही सरकार पुनर्वास का फैसला लेगी। इसके लिए वैज्ञानिकों को बुलाया गया है।
-आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, मुख्यमंत्री

सरकार ने हमें जोशीमठ के पुनर्वास के लिए जमीनों की फिजिबिलिटी जांचने की जिम्मेदारी सौंपी है। हमारे वैज्ञानिक जोशीमठ पहुंचकर भू धंसाव के बारे में रिपोर्ट देगी।
-प्रमोद जाना, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, जीएसआई

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