काबुल: पिछले कई दशकों से गृहयुद्ध झेल रहे अफगानिस्तान में शांति के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिका के वापसी के ऐलान के बाद आतंकी संगठन तालिबान ने अपना खूनी खेल तेज कर दिया है। तालिबान ने पिछले 24 घंटे में 141 जगहों पर भीषण हमले किए हैं। अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 157 सुरक्षाकर्मियों समेत 226 लोग मारे गए हैं।
सरकार का दावा है कि उसने भी जोरदार कार्रवाई करते हुए 100 से ज्यादा तालिबान आतंकियों को मार गिराया है। पिछले 30 दिन में 428 सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक मारे गए हैं। वहीं 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 190 जगहों पर बम विस्फोट हुए हैं। ताजा घटना में पश्चिमी अफगानिस्तान में एक स्कूल के पास सोमवार को बम विस्फोट किया गया जिसमें 21 लोग घायह हो गए। घायलों में अधिकतर छात्र हैं।
फराह प्रांत में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अब्दुल जब्बार शाहीक ने बताया कि घायलों को नजदीकी अस्पतालो में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि कम से कम 10 घायल सात से 13 वर्ष की उम्र के हैं। शाहीक ने बताया कि तीन घायलों की हालत नाजुक है। हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है, हालांकि क्षेत्र में तालिबान के लड़ाकों की मौजूदगी है।
ज्यादातर तालिबानी हमले उरुजगन, जाबुल, कंधार, नानगरहर, बदख्शान और ताखर क्षेत्र में हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के अफगानिस्तान से वापसी के ऐलान के बाद तालिबान ने अपने हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भरपूर समर्थन मिल रहा है। अभी हाल ही में अमेरिका के वरिष्ठ सांसद और राष्ट्रपति जो बाइडन के खास जैक रीड ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के हार का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ा था।
रीड ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के जड़ें जमाने के पीछे की वजह पाकिस्तान में मौजूद उसकी सुरक्षित पनाहगाहें हैं। तालिबान के सफल होने में इन ठिकानों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने यह भी बताया कि अफगानिस्तान की जंग में पाकिस्तान ने दोनों ओर फायदा उठाने की कोशिश की। सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के अध्यक्ष जैक रीड ने अमेरिकी संसद में कहा कि तालिबान के सफल होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाकिस्तान में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने में अमेरिका विफल रहा है।
हाल के एक अध्ययन का हवाला देते हुए रीड ने कहा कि पाकिस्तान में सुरक्षित अड्डा होने और इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) जैसे संगठनों के जरिए वहां की सरकार का समर्थन मिलने से तालिबान मजबूत होगा गया। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान में मौजूद तालिबान के सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट नहीं कर पाए, यही विफलता इस जंग में हमारी सबसे बड़ी गलती साबित हुई है।
उन्होंने यह भी बताया कि जैसा कि अफगान स्टडी समूह (कांग्रेस के निर्देश के तहत कार्यरत) ने कहा कि आतंकवाद के लिए ये पनाहगाह जरूरी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई ने अवसरों का फायदा उठाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करते हुए तालिबान की मदद की।