बरसाना में लट्ठमार होली

नई दिल्ली: बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली आज खेली जा रही है। आज नंदगांव के हुरयारे लट्ठमार होली खेलेने के लिए बरसाना आते हैं। यहां पर महिलाएं (हुरियारिन) रंग, गुलाल, मिठाई के अलावा लट्ठ से उनका स्वागत करती हैं।

भारत में विभिन्न तरह के तीज त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक त्योहार है होली का पर्व। देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी में होली का पर्व अलग ही अंदाज में मनाया जाता है। फूलों की होली के साथ शुरू हुआ ये त्योहार रंगों की होली के साथ समाप्त होता है।

राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ये पर्व दुनियाभर में मशहूर है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग मथुरा, बरसाना पहुंचते हैं। होली के इस पर्व में एक दिन लट्ठमार होली खेलती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों के ऊपर लाठी बरसाती है और खुशी से हर कोई रस्म को निभाता है।

पंचांग के अनुसार, बरसाना में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इसलिए इस साल यह पर्व 28 फरवरी, मंगलवार को मनाई जा रही हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, लट्ठमार होली द्वापर युग से शुरू हुई थी। नंदगांव के कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी के गांव बरसाना जाया करते हैं। वहीं पर राधा रानी और गोपियों श्री कृष्ण और उनके सखाओं की शरारतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए लाठियां बरसाती थी।

ऐसे में कान्हा और उनके सखा खुद को बचाने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे ही धीरे-धीरे इस परंपरा की शुरुआत हो गई है जिसे बरसाना में धूमधाम से मनाते हैं।बता दें कि लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव के लोगों के बीच खेली जाती है। लट्ठमार होली के एक दिन पहले फाग निमंत्रण दिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *