भिवानी: लव मैरिज करने के बावजूद अपनी पत्नी को कैरोसिन तेल से जलाकर हत्या करने वाले आरोपित पति एएसआई को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश केपी सिंह की अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
परिवार को एक ओर जहां 12 साल बाद न्याय मिला वहीं इस केस की खास बात यह रही कि पुलिस ने पहले दर्ज एफआइआर में इसे महज हादसा बताते हुए रद कर दिया था। मामला 30 अगस्त 2011 का है।
चरखी दादरी वासी पूनम की 16 अप्रैल 2001 में भिवानी के बवानीखेड़ा क्षेत्र के गांव बोहल वासी हरियाणा पुलिस के जवान लोकेश के साथ लव मैरिज हुई थी। शादी के बाद ही दोनों में मनमुटाव होने लगा और मामला पुलिस तक पहुंचा। पूनम ने खर्चे का भी केस किया।
इसी दौरान 2003 में उसे लड़की और 2005 में उसे लड़का हुआ। 30 अगस्त 2011 में पूनम अपने बच्चों के लिए खाना बना रही थी तो संदिग्ध हालत में बुरी तरह झुलस गई। हिसार में उपचार के दौरान 10 सितंबर 2011 को उसकी मौत हो गई।
मृतका ने हादसे के बाद पहले मजिस्ट्रेट के सामने बयान में बताया कि स्टोव फटने के कारण यह सब हुआ। मगर पांच दिन बाद उसने अपने पति पर कैराेसिन तेल डालकर आग लगाने का आरोप लगाया। इस मामले में सदर थाना पुलिस ने पहले लोकेश और उसकी माता के खिलाफ केस दर्ज किया।
बाद में पुलिस ने इसे महज हादसा बताते हुए एफआइआर कैंसिल कर दी। परिजनों का आरोप है कि उन्हें इसकी सूचना तक नहीं दी। इसके बाद पूनम के पिता ओमप्रकाश ने बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया।
मृतका के भाई डा. सुरेंद्र ने आरटीआई के माध्यम से पुलिस से कागजात प्राप्त किए। अधिवक्ता विकल गार्गी, नरेंद्र पंघाल, मीना जांगिड़ शर्मा ने संघर्ष किया। अधिवक्ताओं ने बताया कि मौके से पुलिस को स्टोव फटने के साक्ष्य नहीं मिले। इसके बावजूद पुलिस ने इसे हादसा दिखा दिया।
जबकि मौके से पांच लीटर की प्लास्टिक की कैनी मिली थी, जिसमें थोड़ा कैरोसिन का तेल भी बचा हुआ था। पूनम का आग में शरीर का पिछला हिस्सा जला था। अगर स्टोव फटता तो उसे चोट लगती और आगे का हिस्सा जलता। इन साक्ष्यों के आधार पर उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ी।
सजा सुनाने के बाद आलोक कोर्ट परिसर में ही रोने लगा। जिससे वहां लोग भी हैरान रह गए। मगर अधिकतर कहते रहे कि भगवान के घर न्याय है। देरी हो सकती है मगर न्याय अवश्य ही मिलता है। आलोक ने जो किया, उसकी सजा उसे मिली, भले ही 12 साल लग गए।