नई दिल्ली: मार्गशीर्ष मास में अपने अंतिम चरणों में है। इसके बाद हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष महीने की शुरुआत हो जाएगी। जिस तरह मार्गशीष मास भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है, ठीक उसी तरह पौष मास में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है।
बता दें कि इस मास को छोटा पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मास में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है पौष महीना, इसमें पड़ने वाले व्रत और त्यौहार और इस मास का महत्व।
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास वर्ष 2022 में 9 दिसम्बर से शुरू हो रहा है और इसका समापन 7 जनवरी 2023 को होगा। इस पवित्र मास में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। बता दें कि इस मास में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे।
जिस वजह से मांगलिक कार्यों पर कुछ समय के लिए रोक लग जाएगी। ऐसे में ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस मास में पूर्वजों को पिंडदान करने से उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति इस मास में भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता है उसे तेज, बल, बुद्धि, विद्या, यश और धन की प्राप्ति होती हैं। इस मास में रविवार के दिन उपवास रखने से भी भक्तों को सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।