पूर्वजों की विरासत छूटी

देहरादून: मध्य हिमालय की शांत वादी में सुकून के साथ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना संजो रहे जोशीमठ के कई परिवार अब आपदा के कारण पलायन करने के लिए मजबूर हैं। जोशीमठ के सुनील वार्ड के दुर्गा प्रसाद सकलानी के घर पहली बार 2021 में दरार दिखाई दी जो अब पूरे शहर में पैर पसार चुका है। समय रहते प्रशासन इस समस्या से निपटने का उपाय करता तो शायद आज हजारों लोगों को अपने ही शहर में शरणार्थी से जीवन नहीं जीना पड़ता।

जोशीमठ नगर क्षेत्र के सिंहधार निवासी अब देहरादून में आशियाना तलाश रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति जोशीमठ के हर दूसरे परिवार की है। दिनेश के पूर्वजों ने सालों पहले यहां किसी तरह अपने बच्चों के लिए छत का इंतजाम किया लेकिन मानव निर्मित आपदा ने न केवल दिनेश के पूर्वजों की विरासत को ही नहीं बल्कि उनकी भावनाओं को भी झकझोर कर रख दिया है।

इन परिस्थितियों से केवल दिनेश की नहीं बल्कि जोशीमठ का शहर का हर दूसरा व्यक्ति जूझ रहा है। यहां हर कोई अपने भविष्य को लेकर चिंतित और नए ठौर की तलाश में जुटा है। लोग जबरदस्ती पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे तो किसी तरह दूसरी जगह आशियाना तलाश लेंगे लेकिन शहर में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिन्हें इन्हीं हालातों में अपने और बच्चों के भविष्य को तराशना है।

ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद तो भू-धंसाव से मठ को हो रहे नुकसान को बताते ही भावुक हो गए। वे बताते हैं कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित ढाई हजार वर्ष पुरानी परंपराएं भी संकट में आ गई है। आदि गुरु शंकराचार्य की गुफा के साथ ही ज्योतिषपीठ के पहले आचार्य टोटकाचार्य की गुफा भी भू-धंसाव की चपेट में आ गई है।

स्थानीय निवासी रोहित बताते हैं कि एक होटल भू-धंसाव की चपेट में आ गया है जिससे पांच परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट किया गया है। उन्होंने बताया मकान तो ठीक है लेकिन लोग हर दिन हो रहे भू-धंसाव के कारण अपने घरों में नहीं रह पा रहे हैं।

सुनील वार्ड, सेमा गांव, गांधी नगर, रविग्राम और फिर पूरे शहर में धीरे-धीरे भू-धंसाव का दायरा बढ़ता गया।स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इसकी शिकायत की, आंदोलन किया लेकिन प्रशासन ने भी उच्चस्तरीय अधिकारियों को मामले से अवगत कराने के बात कह कर मामले का टाल गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *