‘महाभूकंप’ का अलर्ट

नई दिल्ली: जापान में आए 7.5 तीव्रता के भूकंप ने जमकर तबाही मचाई है। सड़क, बिजली घर और कई मकानों को काफी नुकसान पहुंचा है। जिससे हजारों लोगों का जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस बीच जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने उत्तरी तट के पास एक महाभूकंप की चेतावनी जारी की है।

क्योडो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान सरकार द्वारा खाई के पास एक बड़े भूकंप के लिए एक खास अलर्ट जारी किया है, जिसे ‘ऑफ द कोस्ट ऑफ होक्काइडो एंड सैनरिकु सबसीक्वेंट अर्थक्वेक एडवाइजरी’ के नाम से जाना जाता है। यह भूकंप 7.0 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप के बाद सक्रिय होता है। इसका मतलब है कि अगले सात दिनों तक 8 या उससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना सामान्य से अधिक है। हालांकि इसकी संभावना अभी भी काफी कम है।

जापान में सोमवार को भूकंप होक्काइडो और उत्तर-पूर्वी जापान के तटों से लगी एक खाई के पास आया। यह एक ऐसा जोन है जहां पैसिफिक प्लेट के होंशू मुख्य द्वीप के नीचे खिसकने से बड़े भूकंप आ सकते हैं। मौसम विज्ञान एजेंसी ने बाद में भूकंप की तीव्रता को पहले के 7.6 के अनुमान से बदल दिया और झटके के बाद 3 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरों की चेतावनी जारी की। इवाते प्रीफेक्चर में सबसे ऊंची सुनामी लहरें 70 सेंटीमीटर तक पहुंच गईं।

जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने प्रभावित इलाकों के लोगों से अगले एक-दो सप्ताह तक स्थानीय अधिकारियों और मौसम एजेंसी से अपडेट के लिए अलर्ट रहने और आने वाले भूकंप के लिए तैयार रहने को कहा है। स्थानीय लोगों को पर्याप्त मात्रा में घर के जरूरी सामान को रखने को कहा गया है।

मौसम वैज्ञानिकों की चिंता अब इस बात पर है कि इस क्षेत्र में अब 8 या उससे अधिक का भूकंप आने की आने संभावनाएं नजर आने लगी है। इसको देखते हुए वहां के प्रशासन और लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही यह उत्तरी जापान के पास आने वाला एक महाभूकंप मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी और झटकों का खतरा पैदा करेगा। इससे जापान, रूस का सुदूर पूर्व और संभवतः अलास्का के कुछ हिस्से प्रभावित होंगे।

सुनामी पर हुए रिसर्चों से पता चलता है कि जापान-ट्रेंच प्रकार की घटनाओं से ऊर्जा प्रशांत महासागर में केंद्रित होती है। वहीं, हिंद महासागर मुख्य रूप से सुंडा (जावा) ट्रेंच जैसे सबडक्शन जोन के साथ आने वाले मेगाथ्रस्ट भूकंपों से प्रभावित होता है।

पिछले रिकॉर्डों पर नजर डाले तो पता चलता है कि भारत में अब तक की सबसे भीषण सुनामी 2004 में सुमात्रा के पास आए 9.1 तीव्रता के भूकंप के बाद आई थी। भारत में प्रशांत महासागर में आए भूकंपों से कोई खास असर नहीं पड़ा है। भारतीय वैज्ञानिक भारत के तटों के लिए सुंडा ट्रेंच और अरब सागर को सुनामी का मुख्य स्रोत मानते हैं।

जापान की यह चेतावनी भारत के लिए साझा टेक्टोनिक भेद्यता (भूकंप और सुनामी के प्रति संवेदनशीलता) और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के महत्व को दर्शाती है। लेकिन, इससे आने वाले दिनों में भारतीय तटों पर सुनामी या भूकंप के खतरे के बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिलता है।

जापान एक ऐसी जगह पर स्थित है जहां पैसिफिक प्लेट उत्तरी अमेरिकी और ओखोत्स्क प्लेटों के नीचे खिसकती है। इस प्रक्रिया को सबडक्शन जोन कहते हैं। जापान और कुरिल ट्रेंच के साथ यह प्लेटें बहुत ज्यादा दबाव जमा करती हैं, जो कभी-कभी बड़े मेगाथ्रस्ट भूकंपों के रूप में बाहर आता है। 2011 में, जापान ट्रेंच के पास आए 9.0 तीव्रता के भूकंप ने एक विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया था, जिसमें लगभग 20,000 लोग मारे गए थे और फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था।

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