रहस्यमयी झीलः यहां का पानी बन जाता है पत्थर!

उदय दिनमान डेस्कः वैसे तो झीलें अपनी खूबसूरती और सुकून देने के कारण लगभग सबको अच्छी लगती हैं लेकिन दुनिया में कई रहस्यमयी झीलें भी हैं. उत्तरी तंजानिया की नेट्रॉन झील इस सूची में सबसे ऊपर है. कहा जाता है कि इस झील के पानी को जो भी छूता है, वो पत्थर का बन जाता है. झील के आसपास ढेरों ऐसे जानवरों और पक्षियों की पत्थर की मूर्तियां दिखती हैं, जिनके पंख तक पत्थर के हैं. तो क्या वाकई में इस झील में कोई पारलौकिक ताकत है, जो सबको पत्थर बना देती है?

तंजानिया के अरुषा इलाके में बनी इस झील के दूरदराज तक कोई आबादी नहीं. आसपास पत्थर के जानवर और मूर्तियां पड़ी हैं, जिसे देखकर झील के जादुई होने की बात सच भी लगती हैं, हालांकि ऐसा है नहीं. ये सबकुछ झील के रासायनिक पानी के चलते है. असल में नेट्रॉन एक अल्केलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा काफी ज्यादा है.

पानी में अल्केलाइन की मात्रा अमोनिया जितनी है. ये सबकुछ वैसा है, जैसा इजिप्ट में लोग ममी को सुरक्षित करने के लिए करते थे. यही कारण है कि यहां पंक्षियों के शरीर सालों सुरक्षित रहते हैं. सांकेतिक फोटोतंजानिया के अरुषा इलाके में बनी इस झील के दूरदराज तक कोई आबादी नहीं. आसपास पत्थर के जानवर और मूर्तियां पड़ी हैं, जिसे देखकर झील के जादुई होने की बात सच भी लगती हैं, हालांकि ऐसा है नहीं. ये सबकुछ झील के रासायनिक पानी के चलते है.

असल में नेट्रॉन एक अल्केलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा काफी ज्यादा है. पानी में अल्केलाइन की मात्रा अमोनिया जितनी है. ये सबकुछ वैसा है, जैसा इजिप्ट में लोग ममी को सुरक्षित करने के लिए करते थे. यही कारण है कि यहां पंक्षियों के शरीर सालों सुरक्षित रहते हैं.

तंजानिया के अरुषा इलाके में बनी इस झील के दूरदराज तक कोई आबादी नहीं. आसपास पत्थर के जानवर और मूर्तियां पड़ी हैं, जिसे देखकर झील के जादुई होने की बात सच भी लगती हैं, हालांकि ऐसा है नहीं. ये सबकुछ झील के रासायनिक पानी के चलते है. असल में नेट्रॉन एक अल्केलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा काफी ज्यादा है. पानी में अल्केलाइन की मात्रा अमोनिया जितनी है. ये सबकुछ वैसा है, जैसा इजिप्ट में लोग ममी को सुरक्षित करने के लिए करते थे. यही कारण है कि यहां पंक्षियों के शरीर सालों सुरक्षित रहते हैं.

पर्यावरणविद् और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर Nick Brandt झील के पास गए और उसे समझने की कोशिश में काफी सारी तस्वीरें खींची. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी- एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड. किताब में कई बातें बताई गई हैं जो झील के रहस्यों से परदा उठाती हैं. हालांकि खुद फोटोग्राफर को भी नहीं पता कि आखिर झील के आसपास पक्षियों की मौत कैसे हुई. इस बात पर लाइव साइंस में एक रिपोर्ट भी आ चुकी है, जो कई तथ्यों के बारे में बताती है.

सांकेतिक फोटोपर्यावरणविद् और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर Nick Brandt झील के पास गए और उसे समझने की कोशिश में काफी सारी तस्वीरें खींची. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी- एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड. किताब में कई बातें बताई गई हैं जो झील के रहस्यों से परदा उठाती हैं. हालांकि खुद फोटोग्राफर को भी नहीं पता कि आखिर झील के आसपास पक्षियों की मौत कैसे हुई. इस बात पर लाइव साइंस में एक रिपोर्ट भी आ चुकी है, जो कई तथ्यों के बारे में बताती है.

पर्यावरणविद् और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर Nick Brandt झील के पास गए और उसे समझने की कोशिश में काफी सारी तस्वीरें खींची. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी- एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड. किताब में कई बातें बताई गई हैं जो झील के रहस्यों से परदा उठाती हैं. हालांकि खुद फोटोग्राफर को भी नहीं पता कि आखिर झील के आसपास पक्षियों की मौत कैसे हुई. इस बात पर लाइव साइंस में एक रिपोर्ट भी आ चुकी है, जो कई तथ्यों के बारे में बताती है.

नेट्रॉन अकेली झील नहीं, जो लोगों को रहस्यों में उलझाए रखे है, रवांडा की किवू झील भी इन्हीं में से है. इस झील को अफ्रीकन ग्रेट लेक्स की श्रेणी में रखा गया है. 90 किलोमीटर लंबी और 50 किलोमीटर चौड़ी इस झील के बारे में कम ही जानकारी है. इसके पानी में कार्बन डाईऑक्साइड और बड़ी मात्रा में मीथेन गैस पाई जाती है. झील के पास हल्का-सा भूकंप आने पर इसमें विस्फोट हो सकता है, जिससे आसपास बसे लाखों लोगों की जान को लगातार खतरा बना हुआ है.

सांकेतिक फोटो नेट्रॉन अकेली झील नहीं, जो लोगों को रहस्यों में उलझाए रखे है, रवांडा की किवू झील भी इन्हीं में से है. इस झील को अफ्रीकन ग्रेट लेक्स की श्रेणी में रखा गया है. 90 किलोमीटर लंबी और 50 किलोमीटर चौड़ी इस झील के बारे में कम ही जानकारी है. इसके पानी में कार्बन डाईऑक्साइड और बड़ी मात्रा में मीथेन गैस पाई जाती है. झील के पास हल्का-सा भूकंप आने पर इसमें विस्फोट हो सकता है, जिससे आसपास बसे लाखों लोगों की जान को लगातार खतरा बना हुआ है.

नेट्रॉन अकेली झील नहीं, जो लोगों को रहस्यों में उलझाए रखे है, रवांडा की किवू झील भी इन्हीं में से है. इस झील को अफ्रीकन ग्रेट लेक्स की श्रेणी में रखा गया है. 90 किलोमीटर लंबी और 50 किलोमीटर चौड़ी इस झील के बारे में कम ही जानकारी है. इसके पानी में कार्बन डाईऑक्साइड और बड़ी मात्रा में मीथेन गैस पाई जाती है. झील के पास हल्का-सा भूकंप आने पर इसमें विस्फोट हो सकता है, जिससे आसपास बसे लाखों लोगों की जान को लगातार खतरा बना हुआ है.

अमेरिका की मिशिगन झील देखने में खूबसूरत है उतनी है खतरनाक भी है. अगस्त साल 1986 में इस झील के पास जानलेवा गैस का बादल छा गया और आसपास के सभी जीवों की जान ले ली थी. उसी दौरान झील ने 1,746 लोगों की जान ले ली. वैज्ञानिकों ने इस बारे में बताया कि झील के तल में ज्वालामुखी के कारण ऐसा हुआ है. कार्बन डाईऑक्साइड पानी में मिल गई और इसका स्तर बढ़कर बादल के रूप में चारों तरफ फैल गया था. सांकेतिक फोटोअमेरिका की मिशिगन झील देखने में खूबसूरत है उतनी है खतरनाक भी है.

अगस्त साल 1986 में इस झील के पास जानलेवा गैस का बादल छा गया और आसपास के सभी जीवों की जान ले ली थी. उसी दौरान झील ने 1,746 लोगों की जान ले ली. वैज्ञानिकों ने इस बारे में बताया कि झील के तल में ज्वालामुखी के कारण ऐसा हुआ है. कार्बन डाईऑक्साइड पानी में मिल गई और इसका स्तर बढ़कर बादल के रूप में चारों तरफ फैल गया था.

अगस्त साल 1986 में इस झील के पास जानलेवा गैस का बादल छा गया और आसपास के सभी जीवों की जान ले ली थी. उसी दौरान झील ने 1,746 लोगों की जान ले ली. वैज्ञानिकों ने इस बारे में बताया कि झील के तल में ज्वालामुखी के कारण ऐसा हुआ है. कार्बन डाईऑक्साइड पानी में मिल गई और इसका स्तर बढ़कर बादल के रूप में चारों तरफ फैल गया था.

रूस की बॉस्नो झील के चारों ओर भी रहस्यों का घेरा है. स्थानीय लोगों का मानना है इस झील में एक प्राचीन छिपकली को देखते हैं. जिसे ब्रॉस्नो ड्रैगन के नाम से पुकारा जाता है. इस झील में कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले बनते हैं जो इतने दमदार होते हैं कि छोटी नौका को पलट देते हैं.

इसलिए इसे खतरनाक माना जाता है. सांकेतिक फोटोरूस की बॉस्नो झील के चारों ओर भी रहस्यों का घेरा है. स्थानीय लोगों का मानना है इस झील में एक प्राचीन छिपकली को देखते हैं. जिसे ब्रॉस्नो ड्रैगन के नाम से पुकारा जाता है. इस झील में कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले बनते हैं जो इतने दमदार होते हैं कि छोटी नौका को पलट देते हैं. इसलिए इसे खतरनाक माना जाता है.

रूस की बॉस्नो झील के चारों ओर भी रहस्यों का घेरा है. स्थानीय लोगों का मानना है इस झील में एक प्राचीन छिपकली को देखते हैं. जिसे ब्रॉस्नो ड्रैगन के नाम से पुकारा जाता है. इस झील में कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले बनते हैं जो इतने दमदार होते हैं कि छोटी नौका को पलट देते हैं. इसलिए इसे खतरनाक माना जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *