मां शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्रि शुरू

उदय दिनमान डेस्कः देवी आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि शुरू हो गए हैं। अब से लगातार 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा और साधना बड़े ही भक्ति भाव से की जाएगी। चैत्र नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही आज से हिंदू नववर्ष भी प्रारंभ हो गया है। महाराष्ट्र में चैत्र प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है।

आज से हिंदू कैलेंडर के नए वर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत हो गई है। चैत्र का महीना हिंदू कैलैंडर का पहला और फाल्गुन आखिरी महीना होता है। विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने शुरू की थी।

चैत्र प्रतिपदा तिथि से ही नवरात्रि के शुरू होने के साथ नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 भी शुरू हो चुका है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ब्रह्रााजी ने सृष्टि की रचना की थी। इस बार हिंदू नववर्ष 2080 के पहले दिन की शुरुआत बहुत ही शुभ योग के साथ हुई है।

ज्योतिष गणना के मुताबिक आज 4 तरह के राजयोग बना हुआ है। जिसमें गजकेसरी, बुधादित्य, हंस और नीचभंग राजयोग है। इसके अलावा आज ही शुक्ल और ब्रह्रा योग भी बन रहा है।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ जौ का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन ही घटस्थापना के साथ ही जौ बोए जाते हैं। मान्यता है कि इसके बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी रह जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की तब वनस्पतियों में जो फसल सबसे पहले विकसित हुई थी वो जौ ही थी। यही वजह है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोई जाती है।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है और माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और मनोबल भी बढ़ता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान होता है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा से मन की एकाग्रता मिलती है। इस दिन मां को मां को दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाएं, जिससे माता चंद्रघंटा अधिक प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही इनकी पूजा-अर्चना से मानव सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाते हैं।

नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को भोग में शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन-अर्चना से आपके व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ने लगता है।

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि में देवी दूर्गा की पूजा-आराधना का विधान होता है। जिसमें लगातार नौ दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। माता के नौ स्वरूपों के बारे में पुराणों में लिखा हैं।

प्रथम शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेती कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।

हिंदू धर्म में चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है जिसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा पर लोग अपने घर के बाहर गुड़ी बांधते हैं। गुड़ी का अर्थ होता है पताका और पड़वा से मतलब प्रतिपदा तिथि से होता है।

आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही विधि-विधान के साथ मां दूर्गा की पूजा उपासना प्रारंभ हो जाती है। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें।अब लाल कपड़ा बिछाकर उसपर अक्षत(चावल) रखें।अब मिट्टी के पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।अब कलश के मुख पर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।अब इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
इसके उपरांत एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें।अब इस कलश के ऊपर नारियल स्थापित करके देवि दुर्गा का आह्वान करें।कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा शुभ माना गया है।

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते…
चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं

या देवी सर्वभूतेषु..शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै नमो नम:
चैत्र नवरात्रिकी हार्दिक शुभकामनाएं

चैत्र नवरात्रि के साथ ही आज से नया हिंदु विक्रम संवत 2080 भी शुरू हो चुका है। हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नया हिंदी कैलेंडर की शुरुआत होती है। इस बार नए विक्रम संवत्सर के राजा बुध और मंत्री शुक्र देव हैं। इस वर्ष नवरात्रि की तिथियां पूरे 9 दिनों तक रहेगी जिस कारण से देवी की आराधना के लिए पूरे 9 दिन मिलेंगे। 29 मार्च को महाष्टमी और 30 मार्च को रामवनवमी रहेगी। लगातार दूसरे वर्ष नवरात्रि की तिथियों में कोई कटौती नहीं होगी।

आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गए हैं। मान्यताओं के अनुसार आज यानी प्रतिपदा तिथि पर देवी दुर्गा धरती पर पधारेंगी और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगी। यह चैत्र नवरात्रि 30 मार्च को चलेगी। इस बार कलश स्थापना के 3 मुहूर्त मिलेंगे। पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और आखिरी मुहूर्त शाम 4 बजकर 15 मिनट से शाम 6 बजे तक रहेगा।

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