नवरात्र: मां आदिशक्ति नौ स्वरूपों की पूजा का महापर्व

नई दिल्ली: सनातन संस्कृति में सभी देवी देवताओं को महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि प्रत्येक देवी देवता एक दूसरे से अलग है और उनको प्रसन्न करने के लिए भी अलग-अलग मंत्र वर्णित किए गए हैं।

26 सितंबर 2022 से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022 Date) की शुरुआत हो रही है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ सिद्ध स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। साथ ही उनसे सुख, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।

माता शैलपुत्री
नवरात्र के सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका जन्म पत्थर से होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री रखा गया था। पार्वती के रूप में यह भगवान शंकर की पत्नी भी है। इनका वाहन बैल है और यह दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल धारण करती है।

देवी ब्रह्मचारिणी
दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमल तो दूसरे में कमंडल रहता रहता है। शास्त्रों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की जिसके के बाद इनका नाम तपश्चारिणी अथवा ब्रह्मचारिणी रखा गया। इनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

चंद्रघंटा देवी
नवरात्र पर्व के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की विधिवत पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजमान है और यह हाथों में खड़क, त्रिशूल, गधा, धनुष बाण, कमल इत्यादि धारण करती है। चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से मानसिक और आंतरिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही भक्तों को बहुत लाभ होता है।

माता कुष्मांडा
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। किंवदंतियों के अनुसार जिस समय सृष्टि में अंधकार था तब मां दुर्गा ने इस स्वरूप में ब्रह्मांड की रचना की थी। यही कारण है कि इन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। देवी कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और यह सिंह की सवारी करती है। सभी भुजाओं में चक्र, गदा, धनुष, कमंडल, धनुष बाण और कमल स्थापित है।

देवी स्कंदमाता
नवरात्रि पर्व के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा विधि विधान से की जाती है। स्कंदमाता भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की मां हैं। माता के चार भुजाएं हैं। एक हाथ में उन्होंने अपने पुत्र कार्तिकेय को पकड़ा है अन्य तीन हाथों में उन्होंने कमल का फूल, वरद मुद्रा और श्वेत कमल धारण किया है। देवी स्कंदमाता सिंह की सवारी करती है और इनकी पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

माता कात्यायनी
दुर्गा पूजा के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इनकी पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनका रंग स्वर्ण के समान चमीला है और चार भुजाएं हैं। उनके हाथों में अभय मुद्रा, वर मुद्रा, खड्ग और कमल का फूल सुसज्जित हैं।

मां कालरात्रि
मां कालरात्रि को नवरात्र के सातवें दिन पूजा की जाती है। इन्हें सभी प्रकार की आसुरी शक्तियों को विनाश करने के लिए जाना जाता है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और चार भुजाएं हैं। माता अपने हाथों में खड्ग, लौह अस्त्र, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। इनकी आराधना करने से व्यक्ति सभी प्रकार के समस्याओं से छुटकारा पा लेता है।

माता महागौरी
नवरात्रि पर्व के आठवें दिन माता महागौरी की विधिवत पूजा की जाती है। माता बैल की सवारी करती हैं और इनका रंग भी गौर अर्थात सफेद रंग है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। चारों भुजाओं में माता महागौरी अभय मुद्रा, त्रिशूल, डमरू और वर मुद्रा धारण करती हैं।

मां सिद्धिदात्री
नवरात्र पर्व के नौवें और अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माता के चार भुजाएं हैं जिनमें यह कमल, चक्र, गदा और शंख धारण करती हैं।

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