नई दिल्ली: कोरोना के बाद मानों बीमारियों ने देश को जकड़ लिया है। कभी कोरोना, कभी ब्लैक फंगस के बाद न जाने कितनी बीमारियां आ रही है और आने वाली है। यह चिंता का विषय होने के साथ-साथ मानव सभ्यता के लिए भी बूरा समय है। इस सबसे कब राहत मिलेगी फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि कोरोना के बाद कई नई-नई बीमारियों ने मानव को अपना घर बना लिया है। कोरोना की तीसरी लहर देश में आने की चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है। इससे पहले ही कई बीमारियां आ रही है।
कोरोना वायरस के बाद बच्चों को शिकार बना रहे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम के मरीजों की संख्या में इजाफा जारी है. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में इस बीमारी से जुड़े 177 ने मामले सामने आए हैं. इनमें से 109 अकेले राजधानी दिल्ली में ही दर्ज किए गए हैं, जबकि 68 अन्य केस गुरुग्राम और फरीदाबाद में मिले हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस से उबर रहे बच्चों में MIS-C के मामलों में बढ़त देखी जा रही है.
MIS-C का शिकार होने के बाद मरीज को बुखार आता है. साथ ही इस दौरान ह्रदय, फेफड़ों और मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बुखार, सांस लेने में परेशानी, पेट दर्द, त्वचा और नाखुनों का नीला पड़ना इस बीमारी के लक्षण हैं. यह बीमारी 6 महीने से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रही है. अब तक सबसे ज्यादा मरीज 5 और 15 साल की उम्र के बीच मिले हैं.
इंडियन एकेडमी ऑफ पाडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर चैप्टर के निर्वाचित चेयरपर्सन डॉक्टर धीरेन गुप्ता कहते हैं, ‘बच्चों में कोविड-19 का गंभीर संक्रमण दो बदलाव लाता है. बच्चे को निमोनिया हो सकता है या MIS-C की स्थिति बन सकती है.’ उन्होंने बताया, ‘जल्द पहचान ही परेशानी को समय पर पकड़ने में मदद कर सकती है.’ डॉक्टर गुप्ता सर गंगाराम अस्पताल में पीडियाट्रिशियन हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जल्द पता लग जाए, तो इसका इलाज हो सकता है. SAIMS की पीडियाट्रिक्स विभाग प्रमुख डॉक्टर गुंजन केला ने कहा कि यह सिंड्रोम फेंफड़ों, नर्वस सिस्टम और ह्रदय समेत अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है.
उन्होंने जानकारी दी, ‘लेकिन अगर इसका जल्दी पता लगा लिया जाए, तो इलाज हो सकता है और इसके प्रभाव को भी कम किया जा सकता है.’ पैरेंट्स को खुद के स्वस्थ होने के 1 महीने के दौरान सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.