जोशीमठ पर कोई भी मीडिया से कुछ न बोले- ISRO में तस्वीरें आने के बाद बवाल

नई दिल्लीः जोशीमठ आपदा को लेकर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने नया आदेश जारी किया है. जारी आदेश के मुताबिक, जोशीमठ के हालात को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का कोई भी अधिकारी मीडिया को जानकारी या ब्रीफ नहीं देगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की रिपोर्ट के बाद एनडीएमए ने यह फैसला लिया है. एनडीएमए की रिपोर्ट के बाद इसरो ने अपनी साइट से कल जारी की रिपोर्ट को हटा लिया है.

इसरो ने जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें जारी की थीं, जिसमें दिखाया गया था कि यह 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच 5.4 सेमी नीचे डूब गया, लेकिन अब इसरो की यह रिपोर्ट रहस्यमय तरीके से उसकी वेबसाइट से गायब हो गई है. इसरो की तरफ से जारी उपग्रह तस्वीरों से पता चलता है कि हिमालयी शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया. जमीन धंसने की यह घटना संभवत: दो जनवरी से शुरू हुई.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, आर के सिंह, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत व शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में हुई एक बैठक में जोशीमठ की स्थिति और लोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का आकलन किया था. अब तक 589 सदस्यों वाले कुल 169 परिवारों को राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों के रूप में 835 कमरे हैं, जिनमें कुल मिलाकर 3,630 लोग रह सकते हैं.

इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) की जांच में कहा गया है कि अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच जमीन के धंसने की प्रक्रिया धीमी थी. इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंसा था. हालांकि 27 दिसंबर 2022 और आठ जनवरी 2023 के बीच भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया. ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस उपग्रह से ली गई हैं.

एनआरएससी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह क्षेत्र कुछ दिनों के अंदर लगभग 5 सेमी धंस गया और अवतलन की क्षेत्रीय सीमा भी बढ़ गई है. यह हालांकि जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है. एनआरएससी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सामान्य भूस्खलन आकार जैसे दिखने वाले एक धंसाव क्षेत्र की पहचान की गई थी.

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