रुद्रप्रयाग:विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में जीजीआईसी अगस्त्यमुनि में आयोजित कार्यक्रम में मानसिक अवसाद से बचने के लिए मानसिक समस्याओं पर खुलकर बात करने पर जोर दिया गया। वहीं, जनपद रूद्रप्रयाग में 40 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन किया गया।
जीजीआईसी अगस्त्यमुनि में आयोजित कार्यक्रम में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रवि रंजन झा द्वारा मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक स्वास्थ्य में अंतर बताते हुए मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताया गया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को जीवन की हरेक प्रतिस्पर्धा को स्वस्थ दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रोत्साहित किया।
कहा कि औरों के बजाए स्वयं से प्रतिस्पर्धा करने से निरंतर विकास की संभावना बनती है, वहीं मानसिक अवसाद से बच जाता है। उन्होंने सोशल मीडिया के बेजां उपयोग से बचने की हिदायत देते हुए कहा कि आवश्यकता से अधिक प्रयोग मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर लोगों को अवसाद की ओर ले जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया माध्यमों से व्यक्ति आभासी रूप से सबके सपंर्क में है, लेकिन एक कमरे में रह रहे लोग अपने स्वास्थ्य पर बात नहीं करते। उन्होंने जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति को हर समस्या पर बात करनी चाहिए। अधिवक्ता यशोदा खत्री द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कानूनी पहलुओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
मुख्य संदर्भ व्यक्ति चिकित्सा अधिकारी डा. दीपाली नौटियाल ने मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है और कोरोना काल उपरांत मानसिक रोग की स्थिति में बढोत्तरी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि मानसिक रोग का इलाज संभव है, इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अकेले में रहने लगना, थकावट, उलझन, बेचेनी, घबराहट, अत्याधिक चिंता या डर, आवेग में नियंत्रण में कमी होना, रोगी कई चिकित्सकों से उपचार कराने के बाद भी कई बार जांच को सामान्य पाकर असंतुष्ट रहना, असामान्य रूप से हंसना या रोना, कुछ ऐसी आवाज सुनाई देते हैं या आकृति दिखाई देते हैं जो अन्य को महसूस नहीं होती आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह से अधिक समय तक यह लक्षण बने रहे तो उस व्यक्ति को मानसिक रोग हो सकता है, कहा कि समय पर उपचार एवं दवा के सहारे मानसिक रोग का इलाज किया जा सकता है।
उन्होंने बच्चों को अत्याधिक एवं अनियंत्रित इंटरनेट का उपयोग न करने की हिदायत दी, कहा कि इससे अनिंद्रा एवं गर्दन से जुड़ी बीमारी, पढाई-लिखाई से रूचि हटना, रिश्तों में तनाव, उदासी, चिंता आदि समस्याएं पेश आ सकती हैं। उन्होने कहा कि प्रत्येक जिला चिकित्सालय में मनोरोग से संबंधित सलाहध्परामर्श लिया जा सकता है।
काउंसलर आरकेएसके विपिन सेमवाल ने किशोरी संवाद के जरिए लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं से उपजे अवसाद की स्थिति से निपटने के लिए अपने बड़ों से खुलकर बात करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि किशोरियां अपने स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के निस्तारण लिए ब्लाक स्तर पर सीएचसी व जिला स्तर पर जिला अस्पताल में एडोल्सेंट फ्रेंडली हेल्थ क्लीनिक पर संपर्क कर प्रशिक्षित काउंसलर से समस्याओं पर खुलकर बात की जा सकती हैं, वहां पर पूरी गोपनियता से समस्या का निस्तारण किया जाता है।
प्रधानाचार्य रागिनी नेगी ने मानसिक स्वास्थ्य की वैश्विक परिदृश्य में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष रूप से जागरूक होने की आवश्यकता है। इस अवसर पर आयोजित क्वीज में अमृता, साक्षी, प्रिया व पेंटिंग में आईशा खातून, आदिति, ज्योति ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।
वहीं, जनपद के 40 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ की 04 स्थानों पर सीएचओ द्वारा निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें सिद्धश्रम विद्या जूनियर हाईस्कूल सिद्धसौड़ में अमृता, राधिका, प्रिया, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पांडवथली में विकास, सृष्टि, आंचल, जूनियर हाईस्कूल उछोला में निहारिका, बबली, अनोखी तथा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय चैंरा में गौरव, दिशा, निशा ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।
कार्यक्रमों में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी दीपिका भट्ट, पायल राणा, दामिनि सजवाण, अमिता, काउंसलर आरकेए जयदीप, नागेश्वर बगवाड़ी, बलवंत बजवाल, आशीष उनियाल आदि मौजूद रहे।