नई दिल्ली: पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे के दिन पाकिस्तान को यह चेतावनी दी कि सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का ऐसा निर्णायक जवाब दिया जाएगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है।
वहीं, एक दिन बाद भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि अगर पाकिस्तान को भूगोल पर अपनी जगह चाहिए को वह आतंकवाद फैलाने से बाज आ जाए। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन 2.0 में संयम नहीं बरतेंगे। अगली बार पाकिस्तान का भूगोल बदल देंगे। इसके बाद एक दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा पर बड़ी बैठक की। ऐसे में सोशल मीडिया एक्स पर लोग सवाल कर रहे हैं कि सरकार के स्तर पर कुछ तो तैयारी चल रही है।
सोशल मीडिया एक्स पर एक यूजर ने लिखा-पहले रक्षामंत्री का बयान कि भूगोल बदल देंगे। उसके बाद एयरफोर्स-आर्मी चीफ के तौर ऐसे ही बयान और बाद में विदेश मंत्री ने दोहराया की POJK हमारा है। अमित शाह फिलहाल JK सुरक्षा पर बड़ी बैठक कर रहे है। निश्चित रूप से सरकार के स्तर पर तैयारी चल रही है- और वो तैयारी पाकिस्तान के इतिहास भूगोल को बदल देने की ही है।
डिफेंस एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत पाकिस्तान कबायलियों की मदद से जम्मू-कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया। भारत अगर उस वक्त संयुक्त राष्ट्र नहीं जाता तो आज हालात कुछ और होते। पीओके रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी अहम है। यह जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
इसमें पश्चिम में पाकिस्तान का पंजाब और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत यानी खैबर-पख्तूनख्वा, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान का लाखन हॉल और उत्तर में चीन का शिंजियांग प्रांत शामिल है। करीब 13 हजार वर्ग किमी के इस इलाके में तकरीबन 30 लाख आबादी रहती है। पीओके में आए दिन पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, पीओके हासिल करना इतना आसान नहीं है। 2019 में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने बयान दिया था कि पीओके को हासिल करना बेहद मुश्किल है। 9 अगस्त, 2023 को एक लेख में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने भी कहा था कि आज के जमाने में टू-फ्रंट वॉर कोई नहीं जीत पाया है।
सोढ़ी के अनुसार, अगर पीओके के लिए जंग होगी तो उसमें सिर्फ पाकिस्तान से जंग नहीं होगी, उसमें चीन भी कूदेगा। रूस को यूक्रेन से जंग करते दो साल से ज्यादा वक्त हो गया, मगर वह अभी तक यूक्रेन को हरा नहीं पाया। वहीं, 7 महीने से ज्यादा का समय हो गया छोटे से गाजा पट्टी में हमला करते हुए, मगर इजरायल को अभी तक कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में पीओके भी हासिल करना उतना आसान नहीं होगा।
डिफेंस एक्सपर्ट सोढ़ी बताते हैं कि अगर पीओके में जंग होती है तो यह उतना आसान नहीं होगा। वहां के लिए सेना अलग रणनीति अपनाती है। आमतौर पर सेना किसी भी लड़ाई के लिए अटैकर टू डिफेंडर रेश्यो 3:1 होता है यानी कि अटैकर तीन होते हैं और डिफेंडर एक होता है। वहीं पहाड़ों में अटैकर टू डिफेंडर रेश्यो 9:1 होता है।
इसे ऐसे समझिए कि अगर मैदानों में किसी जमीन के टुकड़े को कब्जा करने के लिए दुश्मन के 100 सैनिक हैं तो हमारी सेना को उन्हें खदेड़ने के लिए 100 के मुकाबले 300 जवान लगाने पड़ते हैं। वहीं पहाड़ों में यह अनुपात तीन गुना बढ़ जाता है। यानी पहाड़ों में दुश्मन के 100 जवानों से मुकाबला करने के लिए हमें 900 सैनिकों को तैनात करना पड़ता है। चीन भी ऐसा ही तरीका अपनाता है।
1999 में जब कारगिल जंग हुई थी, उस समय पहाड़ों पर मुट्ठी भर पाकिस्तानी फौजें थीं। जिन्होंने पहाड़ों पर भारतीय सेना की जमीन ले ली थी। उन्हें हराने के लिए भारतीय सेना को कई बटालियन भेजनी पड़ी थी। वहां भी जीत के लिए 9:1 का अनुपात अपनाया जाता है। आज के जमाने में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल और लाइन ऑफ कंट्रोल दोनों ही जगहों पर भारत को मुकाबला करना पड़ रहा है।
लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि 8 जुलाई, 2013 में चीन के सरकारी अखबार विनवीपू ने एक भविष्यवाणी की थी कि 2035 में टू-फ्रंट वॉर होगी, जिसमें चीन-पाकिस्तान मिलकर भारत पर हमला करेंगे। पीओजेके में चीन का भी इंटरेस्ट भी है। 65 बिलियन डॉलर का इकोनॉमिक कोरिडोर प्रोजेक्ट भी पीओके से होकर ही गुजरेगा।
चीन ने पीओके में कई पनबिजली परियोजनाओं में पैसा लगाया है। 5,180 वर्ग किमी की शक्सगाम घाटी को पाकिस्तान ने 1963 में एक गैरकानूनी समझौते के तहत चीन को दे दी थी। इससे पहले पाकिस्तान ने अक्साई चिन का 38 हजार वर्ग किमी से ज्यादा का इलाका चीन को दे दिया था।