दाने-दाने को मोहताज फलस्तीनी !

यरुशलम। करीब 19 महीने से इजरायल के हमले झेल रहा गाजा अब भूख और प्यास की चपेट में है। इजरायली सेना द्वारा दो महीने से विदेशी सहायता रोके जाने के बाद गाजा में फूड स्टोर और कम्युनिटी किचेन में लूटपाट शुरू हो गई है। भूखे-प्यासे लोग अब बेकाबू हो रहे हैं।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से खाद्य सामग्री की आमद पर लगी रोक हटाने की अपील कहा है। कहा है कि गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति रोककर इजरायल फलस्तीनियों को क्रूर सामूहिक दंड दे रहा है। हफ्तों से एक बार खाना खाकर दिन काट रहे फलस्तीनी लोगों से अब 24 घंटे में मिलने वाले चंद निवाले भी दूर हो रहे हैं।

इसी के चलते बुधवार को गाजा में पांच स्थानों पर खाद्य सामग्री की लूटपाट की घटनाएं हुईं। जहां पर खाद्य सामग्री की लूट हुई है उनमें संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी शिविर का खाद्यान्न गोदाम भी शामिल है।

गाजा में गैर सरकारी संगठन की श्रृंखला चलाने वाले अमजद अल-शावा कहते हैं कि खाद्य सामग्री की लूटपाट शुरू होने से समझा जा सकता है कि गाजा की स्थिति कितनी गंभीर है। यहां पर अब खाने के लिए लड़ाई शुरू हो गई है।
विश्व समुदाय को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

इस बीच गाजा में इजरायली सेना के जमीनी और हवाई हमले भी जारी हैं। गुरुवार को हुए हमलों में 12 लोग मारे गए। इन्हें मिलाकर अक्टूबर 2023 से अभी तक मरने वाले फलस्तीनियों की संख्या बढ़कर 52 हजार को पार कर गई है।

भारत संबद्ध पक्षों से संपर्क कर गाजा में शांति स्थापना के लिए प्रयास कर सकता है। भारत इजरायली बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्धविराम के बाद क्षेत्र में शांति देखना चाहता है। इसलिए भारत पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने में अपना योगदान देने के लिए तैयार है। यह बात संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने फलस्तीन पर आयोजित सेमिनार में कही।

उल्लेखनीय है कि भारत उन चंद देशों में शामिल है जिसके इजरायल और फलस्तीन के साथ बेहतर रिश्ते हैं, वह दोनों से समान रूप से बात कर सकता है। यद्यपि स्थायी प्रतिनिधि ने अपने संबोधन में इजरायल और हमास का उल्लेख नहीं किया।

पी हरीश ने कहा कि भारत खुद भी आतंकवाद का भुक्तभोगी है, इसलिए उसे इसकी विभीषिका का अंदाजा है। ¨हसा से कोई समस्या सुलझाई नहीं जा सकती है, बातचीत के जरिये ही समस्या का स्थायी समाधान और शांति संभव है।

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