देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड से खासा लगाव है और यदि बात चारधाम की हो तो इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बदरीनाथ धाम में रमा एकादशी के दिन पूजा करने को भी धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बदरीनाथ पहुंचे और यहां पूजा अर्चना की। हाथ जोड़कर तिलक लगवाने के बाद प्रधानमंत्री काफी देर तक मंदिर परिसर में भी रहे। उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है।
इस दिन भगवान नारायण की पूजा विशेष मानी जाती है। भगवान नारायण का दर्शन जो सालभर में नहीं कर पाता इस दिन करने से मन्नत पूरी होती है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। विधि विधान के साथ एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। दीपावली में पहले रखा जाने वाला ये एकादशी व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से मन्नत पूरी होती है। प्रधानमंत्री का देवभूमि से काफी लगाव है और वह जब भी यहां आते हैं पूजा करते हैं। इस विशेष दिन पर प्रधानमंत्री द्वारा भगवान नारायण की पूजा की गई।
रमा एकादशी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखते हैं। इसके साथ ही व्रत के दौरान इस व्रत कथा को पढ़ना या फिर सुनना चाहिए। माना जाता है कि इस कथा का पाठ करने से सभी कष्टों और पापों से छुटकारा मिल जाता है।
लोग बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री का स्वागत करने पहुंचे। जैसे ही प्रधनमंत्री बदरीनाथ धाम पहुंचे लोग ने उनका स्वागत किया। इसके बाद बदरीनाथ में पूजा की।
गोपेश्वर: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ गुरुवार को गोपीनाथ मंदिर स्थित अपनी शीतकालीन गद्दी पर विराजमान हो गए। इससे पहले बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली यात्रा कुंजौ मैकोट स्थित गणजेश्वर मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद गोपेश्वर स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल पहुंची। अब अगले छह माह बाबा यहीं अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित रुद्रनाथ धाम के कपाट बीते 17 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद किए गए थे। इसके बाद बाबा रुद्रनाथ की चल-विग्रह उत्सव डोली यात्रा ने 18 अक्टूबर को डुमक गांव में रात्रि विश्राम किया।
19 अक्टूबर को यात्रा गणजेश्वर मंदिर पहुंची। गुरुवार को गोपेश्वर पहुंचने पर स्थानीय नागरिकों व मंदिर समिति के कर्मचारियों ने डोली यात्रा का भव्य स्वागत कर विधिवत पूजा-अर्चना की।