संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह पर सियासी जंग

नई दिल्ली। 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। ऐसे में कई राजनीतिक दल अभी से ही नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का विरोध कर रहे हैं। अब तक 19 दलों ने 28 मई को दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है।

19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए एक संयुक्त बयान जारी किया है। उन्होंने कहा-जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से ही बाहर निकाल दिया गया है, ऐसे में नए भवन की कोई अहमियत नहीं है।

उद्धव ठाकरे गुट भी नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगा। संजय राउत ने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है और हम भी ऐसा ही करेंगे।इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) भी नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी। DMK सांसद तिरुचि शिवा ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा कि DMK उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी।

शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। पार्टी के एक प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि यह फैसला अन्य विपक्षी दलों के साथ तालमेल बिठाकर लिया गया है।

बता दें कि जिन दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान किया है, उनमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), उद्धव ठाकरे गुट, DMK, NCP, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरला कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, TMC, जेडीयू, CPI (M), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत आरएसपी शामिल हैं।

आप के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को आमंत्रित नहीं करना उनका घोर अपमान है। यह आदिवासियों का भी अपमान है। आम आदमी पार्टी इसके विरोध में उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी।

उधर भाकपा महासचिव डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह से दूर रहेगी। वैसे इस मसले पर बहुत जल्द विपक्षी दलों की एक बैठक भी प्रस्तावित है और उसमें ममता खुद आने की बजाय अपने किसी मंत्री को भेजने वाली हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यसभा व लोकसभा के साथ राष्ट्रपति संसद का अविभाज्य हिस्सा हैं। ऐसे में पीएम का नए संसद भवन का उद्घाटन करना संवैधानिक नियमों व गरिमा के खिलाफ है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद की नई इमारत के शिलान्यास और उद्घाटन पर राष्ट्रपति को नहीं बुलाए जाने को लेकर सोमवार को सरकार को घेरा था। साथ ही कांग्रेस की ओर से विपक्षी खेमे के दलों से बहिष्कार की साझी रणनीति के लिए अनौपचारिक चर्चा शुरू कर दी। इसकी आहट भांपते ही तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को सबसे पहले समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर दी।

दरअसल, तृणमूल विपक्षी सियासत का हिस्सा तो बने रहना चाहती है मगर कांग्रेस का नेतृत्व अभी उसे स्वीकार्य नहीं है। इसीलिए राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता डेरेक ओब्रायन ने ट्वीट में कहा ‘संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है। यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों व नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है। यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। पीएम को यह समझ नहीं आ रहा है। उनके लिए नए भवन का उद्घाटन मैं और मेरे बारे में है तो हमें इससे बाहर गिना जाए।’

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