शिमला। हिमाचल प्रदेश में नदियां और नाले उफान पर है। बारिश और भूस्खलन की घटनाओं से प्रदेश को काफी नुकसान पहुंचा है। प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग-डीएम सेल के राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) की क्षति रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में जारी मानसून के मौसम में कुल 366 मौतें हुई हैं और सार्वजनिक और निजी संपत्ति दोनों को भारी नुकसान हुआ है।
20 जून, 2025 से 6 सितंबर, 2025 तक की अवधि को कवर करने वाली यह रिपोर्ट राज्य भर में व्यापक तबाही का विवरण देती है। मानसून के दौरान, कुल 366 मौतें हुईं, जिनमें से 203 बारिश से संबंधित घटनाओं और 163 सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुईं।
वर्षाजनित मौतों के विभिन्न कारण रहे: भूस्खलन से 42, डूबने से 34, अचानक बाढ़ से 9, बादल फटने से 17, पेड़ों या खड़ी चट्टानों से गिरने से 40, बिजली से 15, अन्य कारणों से 28, बिजली गिरने से 0, आग लगने से 3 और सांप के काटने से 15 मौतें हुईं, जबकि हिमस्खलन से कोई मौत नहीं हुई।
वर्षाजनित मौतों का ज़िलावार विवरण देखें तो मंडी में सबसे ज़्यादा 37 मौतें हुईं, उसके बाद कांगड़ा (31), कुल्लू (25), चंबा (21), शिमला (21), किन्नौर (14), हमीरपुर (13), बिलासपुर (11), ऊना (10), सिरमौर (7), सोलन (7), और लाहौल एवं स्पीति (6) का स्थान रहा।
सड़क दुर्घटनाओं में कुल 163 लोगों की मौत हुई, जिनमें से ज़िलावार वितरण में चंबा और मंडी में 22-22, कांगड़ा में 19, सोलन में 19, शिमला में 18, किन्नौर में 14, कुल्लू में 13, ऊना में 12, सिरमौर में 11, बिलासपुर में 7, हमीरपुर में 3 और लाहौल एवं स्पीति में 3 मौतें शामिल हैं।
मानसून के कारण संपत्ति और बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ, जिसका कुल अनुमानित नुकसान 4,07,906.90 लाख रुपये है, जिसमें 4,00,006.50 लाख रुपये सार्वजनिक संपत्ति और 6,700.405 लाख रुपये निजी संपत्ति का नुकसान शामिल है।
इसके अतिरिक्त, 3,390 घर और 40 झोपड़ियां आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुईं, जबकि 692 पक्के घर और 83 कच्चे घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। पशुधन के नुकसान में 1,464 पशुओं की मौत और 26,955 मुर्गी-पक्षियों की मौत शामिल है।