देहरादून : उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से आखिरकार मौसम मेहरबान हो गया है। ज्यादातर क्षेत्रों में बीते दो दिन से बादल मंडरा रहे हैं। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की वर्षा, ओलावृष्टि और बर्फबारी दर्ज की जा रही है। इससे मैदानी क्षेत्रों में भी पारे में मामूली गिरावट आ गई है।
लगातार बढ़ रही गर्मी से फिलहाल कुछ राहत है। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिन प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम का मिजाज बदला रह सकता है। पहाड़ों में हल्की वर्षा-बर्फबारी के आसार हैं। जबकि, निचले इलाकों में ओलावृष्टि हो सकती है।
फरवरी लगभग सूखा बीतने के बाद मार्च के पहले पखवाड़े में मौसम शुष्क बना रहा। हालांकि, मार्च का पहला पखवाड़ा समाप्त होने से पहले मौसम के मिजाज में परिवर्तन आया है। अरब सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ के उत्तराखंड में दस्तक देने के कारण बीते दो दिन से प्रदेश में बादल मंडरा रहे हैं।
जबकि, पर्वतीय क्षेत्रों में रुक-रुककर वर्षा और ओलावृष्टि के दो दिन दौरान हो चुके हैं। मंगलवार को भी दोपहर बाद कई इलाकों में बादलों के डेरा डालने से हल्की बौछारें पड़ीं और निचले इलाकों में ओलावृष्टि हुई। देहरादून समेत आसपास के क्षेत्रों में बादल छाये रहे, लेकिन देर शाम तक वर्षा नहीं हुई।
पहाड़ों में चोटियों पर बर्फबारी व निचले इलाकों में वर्षा-ओलावृष्टि के कारण ज्यादातर क्षेत्रों में तापमान में गिरावट आई है। जिससे मैदानों में तपिश भी कम हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार प्रदेश में अगले कुछ दिन मौसम बदला रह सकता है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में हल्की वर्षा-बर्फबारी हो सकती है। निचले इलाकों में गरज-चमक के साथ ओलावृष्टि के आसार हैं। इसे लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।
चमोली जिले में मंगलवार की सायं मौसम का मिजाज बदला रहा। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में हल्की वर्षा हुई, जिससे कंपकंपी बढ़ गई। सुबह से धूप थी, दोपहर बाद भराड़ीसैंण और आसपास के क्षेत्र में बादल छाए व हल्की बूंदाबांदी भी हुई। गोपेश्वर व आसपास के क्षेत्र में तेज हवाएं चलीं।
दो दिन पहले बोंदूर खत में हुई ओलावृष्टि के बाद मंगलवार शाम मौसम ने सीमांत क्षेत्र के कई गांवों में फिर से कहर बरपाया। भारी ओलावृष्टि के चलते सैकड़ों किसानों की खेती-बागवानी को नुकसान पहुंचा है। ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान नकदी फसलों, सेब व अन्य पर्तवीय फलों को हुआ है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन से प्रभावित किसानों को नुकसान के एवज में उचित मुआवजा देने की मांग की है।मंगलवार शाम मौसम ने करवट बदली। इससे कंडमाण क्षेत्र से जुड़े मशक खत, कोटी-कनासर, हरटाड़, देवघार खत के अटाल, सैंज-तराणू, शिलगांव खत के डांगूठा, पटियूड़, ऐठान समेत आसपास के कई ऊंचे इलाकों में ओलावृष्टि हुई, जिससे खेती-बागवानी को काफी नुकसान पहुंचा है।
स्थानीय किसानों ने कहा कि शाम साढ़े चार से पांच बजे के बीच भारी ओलावृष्टि हुई। इससे बगीचों में आई फ्लोरिंग झड़ गई। आधे घंटे की ओलावृष्टि से सेब, आडू, खुमानी, पुलम, अखरोट, नाशपाती, चुलू और खेतों में उगी मटर, बींस व अन्य नकदी फसलों को नुकसान पहुंचा है।
वहीं, ब्लाक प्रमुख चकराता निधि राणा, कनिष्ठ उपप्रमुख शमशेर सिंह चौहान, प्रधान संगठन महासचिव हरीश राजगुरु, कोटी-कनासर के प्रधान राहुल पुन, लोहारी के क्षेत्र पंचायत सदस्य रमेश चौहान, स्थानीय किरतू जुंवाठा, प्रवीण राणा, कल सिंह राणा, मेहरचंद शर्मा व लालचंद आदि ने कहा कि बेमौसम ओलावृष्टि से क्षेत्र के सैकडों किसान व बागवानों की मेहनत पर पानी फिर गया।
क्षेत्र में अधिकांश ग्रामीण परिवारों की आजीविका कृषि-बागवानी से चलती है। इन दिनों खेतों में उगी मटर का तुडान कार्य चल रहा है। ओलावृष्टि से मटर की फसल खराब हो गई। बगीचों में आई फ्लोरिंग झड़ने से सेब व अन्य फलों के उत्पादन में भारी गिरावट आएगी। ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्र के किसान एवं बागवानों को इस बार लाखों का नुकसान झेलना पड़ेगा। वहीं, तहसील प्रशासन ने संबंधित राजस्व उपनिरीक्षकों से ओलावृष्टि प्रभावित इलाकों में फसलों को हुए नुकसान की जांच रिपोर्ट मांगी है।