दुर्लभ: ‘सोने की मछली’ को पानी में फेंका

आरकंसॉ: अमेरिका के आरकंसॉ में एक शख्स को सुनहरी दुर्लभ बास मछली मिली है जिसे बायॉलजिस्ट्स लाखों में एक कहते हैं। यहां बीवर लेक में मछली पकड़ते वक्त जोश रॉजर्स के हाथ यह ‘खजाना’ लगा है। आरकंसॉ गेम ऐंड फिश कमिशन बायॉलजिस्ट जॉन स्टीन ने बताया है कि ‘सुनहरी’ बास मछली जेनेटिक गड़बड़ की वजह से ऐसी दिखती है।

स्टीन ने बताया है, ‘इस अलग मछली को जैंथोक्रोमिज्म (Xanthocromism) हुआ है जिसमें गाढ़े पिगमेंट की जगह पीला रंग आ जाता है। यह काफी दुर्लभ है और यह प्राकृतिक रूप से होता है।’ रॉजर ने बताया है कि पहले उन्हें मछली देखकर लगा कि कहीं यह बीमार तो नहीं। उन्होंने बताया कि काफी देर तक उन्होंने इसके बारे में सोचा नहीं।

बाद में मछली की तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया और दोस्तों को भेजा। लोगों के रिएक्शन देखने के बाद उन्हें लगा कि शायद उन्हें इसे वापस फेंकनानहीं चाहिए था। यह मछली 16 इंच लंबी थी और करीब एक किलो की रही होगी।

अलग रंग के जीवों को लेकर बायॉलजिस्ट्स और फटॉग्रफर्स में खासा उत्साह रहता है। फरवरी में दक्षिण जॉर्जिया के एक टूर पर गए वाइल्डलाइफ फटॉग्रफर यीव्स ऐडम्स पीले रंग का पेंग्विन देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। आमतौर पर पेंग्विन काले और सफेद रंग के होते हैं और उनके सिर और गर्दन पर पीले रंग का एक पैच होता है।

ऐडम्स का कहना है कि ऐसा कलर शायद Leucism से हुआ है। यह एक तरह का म्यूटेशन होता है जिसकी वजह से पंखों में मेलनिन (melanin) बनता नहीं है। इसकी वजह से सफेद, पीले या चकत्तेदार रंग देखे जाते हैं। इसकी वजह से ऐसे पेंग्विन भी हो सकते हैं जो पूरी तरह सफेद हों।

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