सत्याग्रही स्वयं सेवक जगन्नाथ पांडे सम्मानित

देहरादून। जून 1975 से मार्च 1977 तक का समय स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल रहा। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबन्धित कर दिया गया क्योंकि माना गया कि यह संगठन विपक्षी नेताओं का करीबी है तथा इसका बड़ा संगठनात्मक आधार सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने की सम्भावना रखता था। पुलिस इस संगठन पर टूट पड़ी और उसके हजारों कार्यकर्ताओं को कैद कर दिया गया। आरएसएस ने प्रतिबंध को चुनौती दी और हजारों स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध के खिलाफ और मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया।

आज ऐसे ही 84 वर्षीय सत्याग्रही स्वयं सेवक जगन्नाथ पांडे को सम्मानित करने राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत उनके हरिपुर नायक गाँव स्थित निवास पर पहुँचे। फूलमाला पहना कर और शॉल ओढ़ा कर उनके संघर्ष को याद किया। इस दौरान जगन्नाथ पांडे ने बताया तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ सत्याग्रह करने के आरोप में उनको 18 महीने तक जेल की सजा दी गयी, इस दौरान अलग अलग जेलों में हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल में रख कर उनके आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास भी सरकार द्वारा किया गया था।

इस दौरान कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने कहा 21 महीने का आपातकाल देश के इतिहास का अलोकतांत्रिक काल था। इस दौरान नागरिक अधिकारों की समाप्त करके सरकार द्वारा मनमानी की गई थी। इस काली अवधि के दौरान नागरिक हितों के लिए लड़ने वाले पुराधाओ को आज उनके आवास पर जाकर उनके संघर्ष को याद कर प्रेरणा लेने का हम सभी काम कर रहे हैं।

इस सम्मान समारोह के दौरान मंडल अध्यक्ष नवीन भट्ट , जिला महामंत्री कमल नयन जोशी, कमल पांडे, पार्षद धीराज पांडे, प्रकाश पटवाल, मनमोहन पांडे, विनोद मेहरा मौजूद रहे।

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