टीबी से सुरक्षा को लेकर संवेदीकृत किया

रुद्रप्रयाग: टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत टीबी रोग के हर स्तर पर संक्रमण की आशंका के खात्में की दिशा में संचालित टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित कार्यशाला में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को क्षय रोगियों के संपर्क वाले व्यक्तियों की टीबी से सुरक्षा को लेकर संवेदीकृत किया गया।
वरिष्ठ जिला क्षय अधिकारी डाॅ. विमल सिंह गुसांई ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं जीत प्रोजेक्ट के संयुक्त तत्वावधान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगस्त्यमुनि सभागार में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित कार्यशाला में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। बताया कि जनपद में टीबी रोगी के संपर्क वाले पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को टीपीटी थेरेपी दी जाती है, जबकि पांच वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को स्क्रीनिंग के उपरांत निर्धारित गाइडलान के अनुरूप टीपीटी थेरेपी दी जा रही है।

वरिष्ठ जिला क्षय अधिकारी ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में टीबी रोगियों की शत प्रतिशत खोज करने के लिए संभावित लक्षणों वाले सभी लोगों की स्क्रीनिंग करने, स्क्रीनिंग में टीबी रोग होने की आशंका वाले लोगों को टीबी जांच केंद्र भेजने, सामुदाय स्तर पर टीबी उन्मूलन हेतु जन जागरूकता फैलाने के निर्देश दिए। कहा कि शत प्रतिशत टीबी रोगियों की खोज कर ससमय उनका उपचार कर टीबी संक्रमण को शून्य करके 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।

इसके अलावा उन्होंने टीबी रोगी को मिलने वाली सेवाएं जैसे निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 500 रूपए प्रति माह, निक्षय मित्र योजना के अंतर्गत रोगी को पोषण सहायता दिलाने, टीबी सह रूग्णता से संबंधित रोगों की जांच करवाने में सक्रिय रूप से कार्य करने के निर्देश भी दिए।

जिला कार्यक्रम समन्वयक मुकेश बगवाड़ी ने कहा कि घर में यदि किसी को टीबी हो जाती है तो उसके संपर्क में रहने वाले परिजनों में भी टीबी रोग का खतरा रहता है, इसी खतरे से निपटने के लिए टीपीटी थेरेपी की जाती है। बताया कि इस थेरेपी से टीबी बीमारी के खतरे को 60 प्रतिशत तक टाला जा सकता है।

उन्होंने सीएचओ अपने क्षेत्रांगर्त टीबी उपचाररत रोगियों के गृह संपर्क वाले लोगों की टीपीटी की निगरानी करने व स्वयं अथवा ट्रीटमेंट सपोर्टर के माध्यम से उपचार करवाने की अपील की। बताया कि ट्रीटमेंट सपोर्टर को उपचार में सहायता देने पर उपचार उपरांत 250 रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ. विशाल वर्मा, प्रोजेक्ट जीत के डिस्ट्रिक्ट लीड उपेंद्र सिंह, एसटीएस नरेश राणा, डीपीएस सुनील राणा, बीपीएम मुदित मैठाणी आदि मौजूद रहे।

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