धंसते हुए जोशीमठ में ‘खतरा’ बनी इमारतें

जोशीमठः उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के बीच 4 हजार लोगों को वहां से निकाला जा चुका है. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि जिन बिल्डिंगों में दरारें और ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें जमींदोज किया जाएगा, जिससे पास की इमारतों को नुकसान न हो. बताया गया है कि ध्वस्तीकरण का काम आज यानी मंगलवार (10 जनवरी) से शुरू होगा.

जोशीमठ के इलाके को तीन जोन में बांटा गया है, जो खतरनाक, बफर और पूरी तरह से सुरक्षित हिस्सों में रखे गए हैं. इन जोन को मैग्नीट्यूड के आधार पर भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बनाया गया है. बताया जा रहा है कि भू-धंसाव के शिकार जोशीमठ की 600 से ज्यादा इमारतों पर दरारें मिली हैं. इन इमारतों में जो सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई होगी, उन्हें ध्वस्त किया जाएगा.

जोशीमठ को आपदा बहुल क्षेत्र घोषित कर दिया गया है और इस शहर के साथ ही आसपास के इलाकों में भी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 4 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है, जोशीमठ का 30 फीसदी हिस्सा भू-धंसाव से प्रभावित हुआ है. विशेषज्ञों की एक कमेटी इस पर एक सामूहिक रिपोर्ट देगी, जो पीएम कार्यालय में जमा होगी.

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी से जोशीमठ को बचाने की अपील की है. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकार को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है. जोशीमठ में उन इमारतों को ही ध्वस्त किया जाएगा, जो विशेषज्ञों द्वारा खतरनाक घोषित की जाएंगी. ध्वस्तीकरण के दौरान एनडीआरएफ की टीम भी वहां मौजूद रहेंगी. अधिकारियों का कहना है कि राहत शिविरों में प्रभावित लोगों के लिए सामान्य सुविधाओं का इंतजाम किया गया है और हरसंभव मदद पहुंचाई जा रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बिना किसी खास तैयारी के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास ने जोशीमठ में खतरे की घंटी बजा दी है. विशेषज्ञों ने एनटीपीसी के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के साथ भी इसे जोड़ा है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि हमने सीएम धामी को एनटीपीसी प्रोजेक्ट में सुरंग बनाने के लिए किए जा रहे धमाकों को लेकर कई चिट्ठियां लिखी थीं, जिनका प्रभाव जोशीमठ पर पड़ सकता था. वहीं, एनटीपीसी ने जोशीमठ और अपने प्रोजेक्ट के बीच कोई भी संबंध होने से इनकार किया है.

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