किश्तवाड़ में आसमानी आफत

जम्मू :किश्तवाड़ के चिशोती में मौसम की आफत का खौफ घायलों के चेहरों पर साफ दिख रहा है। कोई लंगर खा रहा था तो कोई आराम कर रहा था। अचानक आई प्रलय से किसी को संभलने का मौका नहीं मिला और सभी मौत के मुंह में चले गए। जीएमसी जम्मू में देर रात को पहुंचे घायल उस भयावह मंजर को याद करके सहम रहे थे।

जीएमसी के वार्ड नंबर सात में भर्ती रूप नगर जम्मू की गहना देवी ने कांपते हुए कहा कि चिशोती में लंगर में थे। बारिश हो रही थी अचानक एक तेज आवाज आई, लगा कि पहाड़ टूट रहा हो। कुछ देख पाते उससे पहले ही पानी और मलबा आ गया। कुछ समझ पाते इससे पहले ही पानी के बहाव में सब कुछ बह गया। मां चंडी की कृपा से ही हम बच पाए। वह मंजर बहुत डरावना था।

पाडर निवासी रामबंस ने कहा कि कुछ पता नहीं क्या हुआ, बस मलबा और पानी हमारे चारों तरफ आता दिखा। जान कैसी बची नहीं पताए मां चंडी का आशीर्वाद होगा। कमरा नंबर चार में भर्ती बन तालाब के मेविक कोहली की हालत नाजुक बताई जा रही है। डॉक्टर उसका उपचार कर रहे हैं लेकिन उसकी हालात गंभीर है।

कैलाश कोहली भी इस वार्ड में भर्ती है और उनकी हालात भी नाजुक है। द्रबशाला की अनु देवी ने कहा कि कुछ याद नहीं यह सब कैसा हुआ। बारिश थी सभी श्रद्धालु चिशोती में थे। कोई वापस घर जाने वाला था तो कोई मां के दरबार की तरफ। अचानक आए जलप्रलय ने किसी को कुछ सोचने और संभलने का मौका नहीं दिया। पानी के साथ बड़े-बड़े पत्थर और लकड़ियां भी आ रही थीं। जो सामने आया उसे बहा ले गई। जीएमसी में देर रात तक हादसे के घायलों का आना जारी था।

मचैल माता के दर्शन के लिए हर साल की तरह इस बार भी जम्मू संभाग के कई इलाकों से लोग अपने परिवारों के साथ निकले थे। वीरवार को जब यात्रा के पड़ाव चिशोती में बादल फटने की खबर आई तो पूरे जम्मू शहर में चिंता की लहर दौड़ गई। बता दें कि जम्मू से हजारों लोग हर दिन माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं। ऐसे में इस हादसे की खबर ने उन सभी परिवारों का चैन उड़ा दिया जिनके अपने इस यात्रा में गए हैं।

लोग दिन भर अपने रिश्तेदारों की खबर लेने में लगे रहे। जिनके रिश्तेदार संपर्क में नहीं आ रहे थे उनकी चिंता चेहरे से झलक रही थी। सोशल मीडिया पर भी लापता लोगों की तस्वीरें और जानकारी लगातार साझा की जा रही है ताकि कोई सुराग मिल सके। शहर के आरएस पुरा इलाके के बैनागढ़ गांव निवासी गिन्नी कुमार ने बताया कि उनके परिवार के 14 लोग मचैल यात्रा के लिए निकले थे। सभी लोग 12 अगस्त को जम्मू से रवाना हुए थे।

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