जोशीमठ: पिछले दो दिन से रुक-रुककर हुई वर्षा और बर्फबारी के बाद आपदा प्रभावित जोशीमठ के कुछ क्षेत्रों में दरारें चौड़ी हो रही हैं। बर्फ पिघलने के चलते दरारों में पानी के रिसाव को इसका एक कारण माना जा रहा है। उधर, जोशीमठ क्षेत्र में मलारी हाईवे पर भी तीन स्थानों पर दरारें चौड़ी हुई हैं। साथ ही बदरीनाथ हाईवे पर डाक बंगले के पास नई दरारें आई हैं, जिन्हें मिट्टी डालकर भरा जा रहा है।
मौसम साफ न होने से शुक्रवार को रुके पड़े डिस्मेंटलिंग, राहत और सर्वे कार्य भी शनिवार से शुरू हो गए हैं। उधर जेपी कालोनी में फूटी जलधारा का प्रवाह घटकर 136 लीटर प्रति मिनट हो गया है। शुक्रवार को यह 250 लीटर प्रति मिनट था।
जोशीमठ में 18.4 एमएम वर्षा और बर्फबारी के चलते असुरक्षित घोषित हो चुके दो होटलों समेत 20 भवनों की डिस्मेंटलिंग का काम फिर शनिवार को शुरू किया गया। मौसम साफ होने के बाद फिर से राहत, सर्वे और डिस्मेंटलिंग कार्यों ने रफ्तार पकड़ी। प्रशासन की ओर से 21 परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट किया गया।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने मलारी हाईवे पर विस्थापन के लिए ढाक गांव में प्रस्तावित भूमि का निरीक्षण किया। आपदा प्रभावित सिंहधार समेत आसपास के आवासीय भवनों में दरारें धीरे-धीरें चौड़ी हो रही हैं, जिसके चलते भूधंसाव की आशंका गहरा गई है। माना जा रहा है कि बर्फ पिघलने से दरारों में पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे दरारें बढ़ रही हैं।
सीमांत चमोली जिले के आपदाग्रस्त जोशीमठ शहर को बचाने के मद्देनजर धामी सरकार गंभीरता से जुटी है। इस कड़ी में केंद्र को भेजा जाने वाला राहत पैकेज का प्रस्ताव दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। यह मुख्य रूप से जोशीमठ के पुनर्निर्माण, ढलान की स्थिरता, आपदा प्रभावितों का पुनर्वास और आजीविका विकास पर केंद्रित होगा।
शासन इन दिनों राहत पैकेज का ड्राफ्ट तैयार करने में जुटा है। जोशीमठ के आपदाग्रस्त क्षेत्र को बचाने के लिए वहां की ढलान को स्थिर किया जाना है, जो भूधंसाव के कारण दरक रहा है। आपदाग्रस्त क्षेत्र से खतरनाक भवनों को हटाने व सुरक्षात्मक कदम उठाने के बाद वहां पार्क अथवा ऐसी हल्की संरचनाएं बनाई जाएंगी, जिससे भूमि पर भार न पड़े।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा के अनुसार केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जोशीमठ में अभी सर्वे चल रहा है।