नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना शुरू होने के बाद पूरे देश में कांवड़ यात्रा निकल रही है। लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री अलग-अलग जगहों से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने जा रहे हैं। कई राज्यों में कांवड़ियों के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सरकार ने कांवड़ रूट के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की है, जिसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है।
यूपी और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ मार्ग पर सभी दुकानदारों को क्यूआर कोड (QR Code) लगाने का आदेश दिया है, जिसमें दुकान के मालिक की पूरी पहचान मौजूद रहेगी। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों से इस फैसले की वजह पूछी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 1 हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों सरकारों को अगले मंगलवार तक क्यूआर कोड के आदेश का कारण सुप्रीम कोर्ट को बताना होगा।
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का पक्ष रखने वाले एडवोकेट जनरल जीतेंद्र कुमार सेठी ने जवाब दाखिल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से 2 हफ्ते का समय मांग है, जिसका वरिष्ठ एडवोकेड शादान फरासत ने विरोध किया है। शादान ने कहा कि यह कांवड़ यात्रा 10-12 दिन में खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर सहमति जताते हुए अगले मंगलवार तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
बता दें कि कांवड़ यात्रा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने नोटिस जारी किया था। इसमें आदेश में कांवड़ रूट पर खान-पान की दुकान लगाने वाले दुकानदारों को क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य किया गया है। इस क्यूआर कोड में उन्हें दुकान के मालिक की पहचान बतानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार के इस आदेश को चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि यूपी-उत्तराखंड सरकार का यह कदम सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल अंतरिम आदेश दिया था कि दुकानदारों को उनकी पहचान उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।